वाराणसी
योगी सरकार यूपी में मदरसों का सर्वेक्षण करा रही है। इसे लेकर वार पलटवार का दौर चल रहा है। इसी बीच पहली बार सुन्नी, देवबंदी, शिया, अहले हदीश, सहित अन्य फिरकों के मौलाना पहली बार एक मंच पर आए हैं। कहा जा रहा है कि समाज में फैली बुराइयों और मसलकी उन्माद दूर करने के लिए यह एकता हुई है। आपस में भाईचारगी, समाज को शिक्षित करने और देश की अखंडता व एकता को बरकरार रखने के मकसद से मुत्ताहिदा उलमा काउंसिल का गठन किया है। मुस्लिम समाज से जुड़े मुद्दों पर अब काउंसिल ही साझा बयान जारी करेगी।
मुस्लिम समाज से जुड़े किसी मुद्दे पर अलग-अलग फिरकों के लोग अलग-अलग राय रखते हैं। कई बार आपसी मतभेद इतना बढ़ जाता है कि फिरकों के बीच सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो जाता है। इसे देखते हुए काशी के मौलानाओं ने मुत्ताहिदा उलमा काउंसिल का गठन किया है। रविवार को इसका ऐलान वाराणसी में हुई बैठक में किया गया।
मुफ्ती-ए-बनारस अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि मुल्क में मुसलमानों की हालात चिंताजनक है। उसे दूर करने की जरूरत है। इस संस्था से सभी लोगों को जोड़ने में मदद मिलेगी। जमीयतुल उलेमा के जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुल्ला नासिर ने कहा कि यह काफी नेक पहल है।
इस मौके पर मुफ्ती हारून नक्शबंदी, अमीनुद्दीन सिद्दिकी, मो. हारून अंसारी, गुलाम नबी, अहसन जमील, मो. जफर हुसैनी, मो. ओसामा, नसीर अहमद, नादिर लुत्फी, मो. वलीउल्लाह आरिफ, मुफ्ती शमीम अहमद, जियाउर्रहमान, इश्तियाक अली, अब्दुल गफ्फार, नियाज अहमद आदि मौजूद थे।
सबकी होगी सामान हिस्सेदारी
मुत्ताहिदा उलमा काउंसिल में सभी की बराबर की हिस्सेदारी होगी। इसमें अध्यक्ष, सचिव का कोई पद नहीं होगा। आम लोगों की सहमति से एक व्यक्ति किसी बैठक अध्यक्षता करेगा। मुफ्ती-ए-बनारस अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि हम समाज में फैली बुराइयों को दूर करेंगे। शिक्षा पर ज्यादा फोकस रहेगा।