तिरुवनंतपुरम
कांग्रेस के वायनाड से सांसद राहुल गांधी पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा जारी है। बुधवार को उनकी यात्रा का चौथा दिन केरल में गुजरा। बुधवार को दिन की शुरुआत करने से पहले राहुल गांधी तिरुवनंतपुरम में प्रख्यात समाज सुधारक नारायण गुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए शिवगिरि मठ गए। शिवगिरि मठ में राहुल ने संन्यासियों से मुलाकात की और संत श्री नारायण गुरु के आगे शीश नवाया। यात्रा सुबह साढ़े सात बजे नवैकुलम जंक्शन से प्रारंभ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। राहुल ने तिरुवनंतपुरम में कल्लम्बलम जंक्शन पर मंगलवार को उस दिन की यात्रा का समापन होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया था कि कैसे खुद को हिंदुओं की प्रतिनिधि बताने वाली पार्टी देश में अशांति फैला रही है, जबकि हिंदुत्व में सबसे पहले ओम शांति शब्द सिखाया जाता है। यह पहली बार नहीं है, जब गांधी परिवार का कोई इस मठ में आया है। राहुल गांधी से पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी, पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी भी यहां आते रहे हैं। जवाहर लाल नेहरू भी यहां आते थे।
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद केरल विधानसभा चुनाव होने थे। उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिवगिरी मठ आए थे। मोदी के बाद दिसंबर 2015 में यहां सोनिया गांधी पहुंची थीं। सोनिया गांधी ने तब कहा था कि वह शिवगिरी मठ पहली बार नहीं आई हैं। इससे पहले भी वह दो बार यहां आ चुकी हैं। 1988 में यहां राजीव गांधी आए थे। तब भी सोनिया गांधी उनके साथ मठ पहुंची थीं।
पहली बार साथ पहुंचे थे नेहरू और इंदिरा
नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य कई मौकों पर शिवगिरी मठ में आए। पहली बार इंदिरा गांधी और जवाहर लाल नेहरू साथ-साथ शिवगिरी मठ आए थे। उसके बाद उन्हें इतना अच्छा लगा कि वे यहां आने लगे। इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू यहां अलग-अलग आते थे।
200 एकड़ पर बसा है मठ
केरल में हिंदुओं में बहुसंख्यक एझवा समुदाय के लिए शिवगिरि सर्वाधिक श्रद्धा का स्थान है। 20वीं सदी के जाने-माने संत और समाज सुधारक नारायण गुरु ने शिवगिरि मठ की स्थापना 1904 में की थी। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। खासकर 30 दिसंबर से 1 जनवरी यहां भारी भीड़ उमड़ती है क्योंकि शिवगिरी की इन दिनों तीर्थयात्रा चलती है। शिवगिरि मठ, शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है। यह 200 एकड़ जमीन पर बसा है।
एझावा समुदाय का केंद्र
शिवगिरि मठ केरल में हिंदुओं की बड़ी आबादी एझवा समुदाय का प्रमुख धार्मिक केंद्र माना जाता है। केरल की कुल आबादी का 23% हिस्सा एझावा समुदाय का है। एझावा का मुख्य केंद्र शिवगिरी मठ है। केरल की राजनीति में हार-जीत तय करने का बडा हिस्सा एझावा समुदाय का ही होता है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा चुनाव, बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम तीनों ही पार्टियां एझावा समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में जुट जाती हैं।
केरल में 23 पर्सेंट एझावा
1928 में गुरु नारायण ईश्वर में विलीन हो गए थे। शिवगिरी मठ, श्री नारायण धर्म संघम का मुख्यालय है, जो उनके शिष्यों और संतों का एक संगठन है, यह गुरु के अपने एक जाती, एक धर्म, एक इश्वर, के सिद्धांत का प्रचार करने के लिए स्थापित किया गया था। यहां संतों का बड़ा जमावड़ा होता है। माना जाता है कि शिवगिरी मठ के इशारे से ही केरल का 23 पर्सेंट एझावा वोट झुकता है।