भोपाल
देश में करीब 70 साल बाद अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में तीन चीतों को छोड़ दिया है। इसके बाद पीएम ने खुद चीतों की तस्वीरें लीं। नामीबिया से आए आठ चीतों क एक महीने तक में क्वारंटाइन रखा जाएगा। इसके बाद इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा। लेकिन अभी भी चीतों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
बता दें कि टाइगर स्टेट और तेंदुआ स्टेट का दर्जा रखने वाला मध्य प्रदेश जो आज से चीता स्टेट बनने जा रहा है, उसके समाने सबसे बड़ी चुनौती चीतों की सुरक्षा का है। वन्य प्राणी सरंक्षण को लेकर कैग ने रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 2014 से 2018 के बीच 115 बाघों और 209 तेंदुओं की अलग-अलग कारणों से मृत्यु हुई। और चिंता वाली बात यह है कि प्रदेश के सात वन मंडल में ही 80 बाघों की मृत्यु हुई, जिसमें 16 का शिकार किया गया है। साथ ही ऐसे 16 बाघ और 21 तेंदुए के शव मिलें हैं जिनकी मौत बिजली के करंट से हुई है।
वहीं अगर बीते सालों में बाघों की मौत के आंकड़ों की बात करें तो गत 6 सालों में 175 बाघों की मौत हो चुकी हैं। जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2022 तक मध्य प्रदेश में 27 बाघों की मौत दर्ज की गई है जोकि देश में सबसे ज्यादा मानी गई है। वहीं 2021 में 44, 2020 में 30, 2019 में 29, 2018 में 19, 2017 में 27 और 2016 में 34 बाघों की मौत हुई थी। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2022 से 15 जुलाई तक कुल 74 बाघों की मौत हुई जिसमें से 27 बाघ सिर्फ मध्य प्रदेश के थे।
प्रदेश में लगातार हो रही बाघों की मौत में सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि ऐसा देखा गया है कि नेशनल पार्क में रहने वाले बाघ भी सुरक्षित नहीं है। सूत्रों की माने तो बाघों की सबसे ज्यादा मौतें टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हुई है। कान्हा टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 30 और बांधवगढ़ में 25 की मौत हुई थी।
कूनो में चीतों की सुरक्षा करना सबसे बड़ा चुनौती का काम है। जिसके कारण चीतों की सुरक्षा के लिए सेंचुरी से सटे गांव में विशेष प्रकार के चीता मित्र तैयार किए गए है। श्योपुर कूनो वन मंडल के डीएफओ पीके वर्मा के मुताबिक अभयारण्य से सटे बेस गांवों में अब तक 450 से अधिक चीता मित्रा तैयार कर दिए गए है, और इन चीता मित्रों को वन विभाग की तरफ से विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
उन्होंने आगे कहा कि चीता मित्र चीतों की सुरक्षा का काम करेंगे। चीता मित्रों को चीतों के व्यवहार के बारे में बताने के साथ ही स्थानीय लोगों को चीतों के विषय मे जागरूक करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। विशेष तौर पर अगर चीता गांव के पास पहुंच जाए तो उसपर किसी भी प्रकार का आक्रमण नहीं करे और न ही इसको लेकर डर का माहौल बनाए। उन्होंने बताया कि चीता मित्र स्थानीय लोगों को इस बात को लेकर जागरूक करेंगे कि ऐसी परिस्थितियों में चीता पर हमला नहीं कर उसके चुपचाप निकलने की जगह प्रदान करें।
अब ऐसे में कूनो नेशनल पार्क में आने वाले चीतों की सुरक्षा करना पूरे वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। और इसलिए चीतों को पूरी तरह सुरक्षा देने के लिए कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधन ने बड़े पैमाने पर रिटायर्ड सैनिकों को चीतों की सुरक्षा में तैनात किया