भोपाल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने खुद को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस से बाहर कर लिया है। बुधवार को भोपाल में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदारों में शामिल नहीं हैं। फिलहाल उनका सारा ध्यान एमपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। वे इसके लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं और चुनाव खत्म होने से पहले एमपी छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। कमलनाथ के इस बयान से स्पष्ट है कि वे भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रास्ते पर चल रहे हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से ज्यादा वे अगले साल चुनावों के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं।
सारा फोकस एमपी पर
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडियाकर्मियों ने कमलनाथ से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित सवाल पूछा था। जवाब में उन्होंने कहा कि वे पहले भी कह चुके हैं कि मध्य प्रदेश नहीं छोड़ना चाहते। विधानसभा चुनाव में 12 महीने बचे हैं। यदि वे कोई जिम्मेदारी लेते हैं तो मध्य प्रदेश से ध्यान हटेगा। अभी उनका पूरा फोकस सिर्फ़ एमपी पर है। वे अपना ध्यान मध्य प्रदेश से हटाना नहीं चाहते।
सोनिया से बातचीत का किया खुलासा
कमलनाथ ने यह खुलासा भी किया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर उनकी सोनिया गांधी से बात हुई थी। सोनिया ने उन्हें दिल्ली बुलाया था। उन्होंने सोनिया को स्पष्ट बता दिया कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं ले सकते, क्योंकि इससे उनका ध्यान एमपी से हट जाएगा। अभी गुजरात का चुनाव है, फिर हिमाचल में चुनाव होंगे। वे हर प्रदेश की चुनावी रणनीति नहीं बना सकते। उनका पूरा फोकस एमपी पर है।
17 अक्टूबर को होना है चुनाव
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होना है। यह माना जा रहा था कि चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच मुख्य मुकाबला होगा, लेकिन पिछले रविवार के बाद परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। गहलोत को गांधी परिवार का समर्थन हासिल है, लेकिन वे इस बात पर अड़े हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ वे मुख्यमंत्री भी बने रहें। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए वे सीएम पद नहीं छोड़ना चाहते।
दोबारा सीएम की कुर्सी पर नजर
कमलनाथ ने भी अपने बयान से जता दिया है कि वे कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। गांधी परिवार के भरोसेमंद नेताओं में शामिल कमलनाथ का नाम कई बार अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में आया, लेकिन वे भी अशोक गहलोत के रास्ते पर चल रहे हैं। कमलनाथ को उम्मीद है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत होगी और तब उनके लिए दोबारा सीएम बनने का रास्ता साफ हो लकता है।