उत्तरकाशी
उत्तराखंड के ‘द्रौपदी का डांडा’ शिखर पर मंगलवार को हिमस्खलन के दौरान उत्तराकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की 63 लोगों की टीम चपेट में आई थी। इनमें से 15 पर्वतारोहियों को सुरक्षित निकालकर मातली हेलीपैड लाया गया है। अब तक 10 शव बरामद हो चुके हैं। वहीं, 27 पर्वतारोही अब भी लापता हैं। गुरुवार को भी अभियान जारी है।
गुरुवार को गुलमर्ग से 14 जवानों की टीम पहुंच गई। हाई एटीट्यूड अभियान में इन जवानों को महारथ हासिल है। जवानों मातली हेलीपैड ड्राप किया गया। सभी जवानों को बेस कैंप के लिए रवाना किया गया। यहां ये सभी जवान डोकरियानी बमक ग्लेशियर जाएंगे।
द्रौपदी का डांडा पर्वत चोटी उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक में भुक्की गांव के ऊपर है। वहां 17 हजार फुट की ऊंचाई पर मंगलवार सुबह हिमस्खलन में पर्वतारोहियों का यह दल चपेट में आ गया था। उत्तराखंड पुलिस ने उन 20 पर्वतारोहियों की लिस्ट जारी की, जो लापता हैं। बताया जा रहा है कि ये लोग डोकरियानी बमक ग्लेशियर में फंस गए हैं। वहीं हिमस्खलन हुआ था।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि बुधवार को मौसम साफ होने के बाद वायुसेना के हेलिकॉप्टर से SDRF, ITBP और NIM की टीमें बचाव के लिए भेजी गईं। जिन 15 को बचाया गया है, उनमें 11 ट्रेनी और 4 ट्रेनर हैं। इनमें दिल्ली के मनीष अग्रवाल भी हैं। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हवाई सर्वे कर बचाव अभियान का जायजा लिया। उन्होंने हिमस्खलन में जान गंवाने वालों के परिजनों को 2-2 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया।
मृतकों में सविता भी, जिन्होंने एवरेस्ट और मकालू पर चढ़ाई का बनाया था रेकॉर्ड
हादसे में उत्तरकाशी के लोंथरु गांव की रहने वाली पर्वतारोही सविता कंसवाल की भी मौत हो गई है। उत्तरकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में ट्रेनर सविता ने इसी साल मई में सिर्फ 16 दिन के अंदर माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर चढ़ाई कर नया नैशनल रिकॉर्ड बनाया था। सविता ने बेहद कम समय में पर्वतारोहण में नाम बनाया था। सविता ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से अडवांस्ड और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था। वह संस्थान की कुशल प्रशिक्षक थीं। सविता के निधन पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया, द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हुए हिमस्खलन की चपेट में आने से हिमालय पुत्री सविता कंसवाल जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है।