दिल्ली
कोविड के कारण दो साल तक फीका रहा दशहरे का उत्सव इस साल अपनी पूरी भव्यता से भरा-पूरा दिखा। रामलीला मंचन और रावण दहन के साथ-साथ मेला और दुर्गा पूजा में लोगों ने पूरे उत्साह से हिस्सा लिया। लेकिन, राजस्थान के अजमेर में मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान छह लोगों के डूबने के कारण दशहरे का रंग कुछ फीका भी पड़ा। नवरात्रि के अंतिम दिन देश के विभिन्न हिस्सों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया गया। दो साल की कोविड पाबंदियों के बाद इस साल रावण दहन पर लोगों का उत्साह देखते बना।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा मना रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को शुभकामनाएं दीं और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक इस त्योहार की बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सभी देशवासियों को विजय के प्रतीक-पर्व विजयादशमी की बहुत-बहुत बधाई। मेरी कामना है कि ये पावन अवसर हर किसी के जीवन में साहस, संयम और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आए।’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दशहरे के उत्सव में हिस्सा लिया। धनखड़ ने कहा कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद दिल्ली में ये उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम है और वो लोगों से मिलकर प्रेम और स्नेह से सराबोर हो रहे हैं। दिल्ली का रामलीला मैदान कोविड पाबंदियां खत्म होने के बाद दशहरे के दिन खचाखच भरा रहा। रावण दहन देखने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के कोने-कोने से लोग वहां पहुंचे।
वहीं, महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों धड़ों ने बीकेसी और शिवाजी पार्क में अलग-अलग दशहरा रैलियों का आयोजन करके शक्ति प्रदर्शन किया और एक-दूसरे पर निशाना साधने के इस मौके का जमकर फायदा उठाया।
पश्चिम बंगाल में महासप्तमी से शुरू हुआ पांच दिन लंबा उत्सव विजयादशमी को मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ समाप्त हुआ। कोलकाता में शाम पांच बजे तक शहर के नदी घाट और अन्य जलस्रोतों में 420 से ज्यादा सामुदायिक क्लब और लोगों ने प्रतिमाओं का विसर्जन किया। हर साल सबसे ज्यादा प्रतिमाओं का विसर्जन बाबुघाट में होता है और इस साल भी वहां विसर्जन के लिए सुबह से लोगों की लाइन लगी हुई थी। इस दौरान लोग ‘आश्चे बोचोर आबर होबे’ (अगले साल के अगमन तक) के नारे लगाए। वहीं, दिन में महिलाओं ने ‘सिन्दूर खेला’ में हिस्सा लिया, एक-दूसरे को मिठाइयां खिलायीं, मां दुर्गा की पूजा की और फिर उन्हें विदा किया।
राजस्थान में दो साल की कोविड पाबंदियों के बाद पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने गृह नगर जोधपुर में रावण दहन में हिस्सा लिया और रावण के पुतले को जलाया। विद्याधर नगर स्टेडियम में 120 फुट ऊंचा रावण का पुतला जलाया गया। पुलिस ने बताया कि राजस्थान के अजमेर में बरसात के पानी से भरे गड्ढे में प्रतिमा विसर्जन के दौरान डूबने से छह लोगों की मौत हेा गई। ये हादसा नसिराबाद सदर थाना क्षेत्र के नांदला गांव में हुआ जहां युवक विसर्जन कर रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कर्नाटक के एचडी कोटे विधानसभा क्षेत्र में स्थित बेगूर गांव में स्थित भीमनकोली मंदिर में पूजा की। वो पार्टी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत फिलहाल कर्नाटक में हैं।
वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए संगठन के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने जिस प्रकार से संकटग्रस्त श्रीलंका की मदद की है और यूक्रेन-रूस युद्ध में अपना रुख स्पष्ट किया है, ये दिखाता है कि देश की बात सुनी जा रही है। वो राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में और आत्मनिर्भर होता जा रहा है। आरएसएस के प्रवक्ता ने कहा कि सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवकों ने विभिन्न स्थानों पर शस्त्र पूजा की।
वहीं, हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला में स्थित प्रसिद्ध जाखू मंदिर में पूजा-अर्चना की। राज्य के लोगों की प्रसन्नता और समृद्धि की प्रार्थना की। उन्होंने पुतला दहन भी किया।
पंजाब और हरियाणा में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण के पुतले जलाए गए। चंडीगढ़ में सेक्टर-46-सी में 90 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन अकर्षण का केंद्र रहा। संघ शासित प्रदेश में इस दौरान सिर्फ हरित पटाखों के उपयोग की अनुमति दी गई।
वहीं, हरियाणा के यमुनानगर में रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ने से पुतला गिर गया, हालांकि लोग बाल-बाल बच गए। यमुनानगर के पुलिस अधीक्षक मोहित हांडा ने बताया कि लोग पुतले के पास जाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पीछे धकेल दिया। ये पूछने पर कि क्या पुतला लोगों पर गिरा, अधिकारी ने कहा कि नहीं, पुतला किसी पर नहीं गिरा।
जहां, लगभग पूरे देश में रावण दहन हो रहा था, वहीं महाराष्ट्र के अकोला जिले के एक गांव संगोला में लोगों ने राक्षस राज की आरती उतारी। गांव के तमाम लोगों की धारणा है कि उनका जीवन और जीविका दोनों ही रावण के आशीर्वाद का फल है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में भी लंकेश भक्त मंडल ने रावण दहन नहीं करने का फैसला लिया।