नई दिल्ली
प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) की वेबसाइट बहुत ही चतुराई और सुविचारित ढंग से डिजाइन की गई थी। जिससे यह पता लगाना कठिन था कि पीएफआई का किसी चरमपंथी विचारधारा के प्रति कोई झुकाव था अथवा वह उसका समर्थन करता था। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। वेबसाइट को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार पहले ही ब्लॉक कर दिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पीएफआई को आतंकवाद निरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है। पीएफआई की गतिविधियों पर नजर रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि पीएफआई की वेबसाइट काफी सोच विचार के बाद तैयार की गई थी और यह बहुत ही संरचित और चतुराई से तैयार की गई थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि वेबसाइट से इस बात का जरा भी संकेत नहीं मिलता है कि संगठन चरमपंथी विचारधारा को बढ़ावा देता है अथवा उसका पालन करता है। पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर सरकार ने यूएपीए के तहत 28 सितंबर को पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। उन पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ ‘संपर्क होने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाया था।
पीएफआई के आठ सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं। प्रतिबंध के बाद, अधिकारियों ने उन राज्यों में पीएफआई के कार्यालयों को सील करने और उनके बैंक खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, जहां संगठन काम कर रहा था।