फिरोजाबाद
उनका नाम सपना जैन है। वह 17 साल की थीं, जब पिता ने उन्हें घर के ही एक कमरे के अंदर बंद कर दिया। वजह बताया गया कि वह मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं। ताजा हवा, धूप से वंचित रहीं सपना अब 53 साल की हो चुकी हैं। उन्होंने जंजीरों में जकड़े हुए ही जिंदगी के 36 साल गुजार दिए। अब जाकर उन्हें आजादी मिली है।
यह मामला फिरोजाबाद के टुंडला इलाके के मोहम्मदाबाद गांव का है। सपना इसी गांव की रहने वाली हैं। 17 की उम्र में ही पिता और घरवालों ने मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें कैद कर दिया था। तब से उन्हें दरवाजे के बीच में से खाना दिया जाता था। खिड़की के रास्ते से बाल्टी में पानी भरके उन्हें नहाने के लिए दिया जाता था।
हाथरस की बीजेपी विधायक अंजुला माहौर के हस्तक्षेप और मदद के बाद इस सप्ताह महिला को कैद से आजादी मिली है। उन्हें स्थानीय एनजीओ सेवा भारती के जरिए जानकारी मिली थी। सपना के पिता गिरीश चंद का निधन हाल ही में हुआ। इसके बाद एनजीओ से जुड़ी महिलाओं का एक ग्रुप वहां सपना का हाल जानने के लिए पहुंचा।
सेवा भारती की सदस्य निर्मला सिंह ने बताया, ‘सपना हमें बुरी हालत में मिलीं। उन्होंने काफी गंदा कपड़ा पहना हुआ था, जिसपर धूल जमी थी। एनजीओ के सदस्यों ने उन्हें नहलाया और साफ कपड़ा पहनाया।’ एनजीओ की तरफ से जानकारी मिलने के बाद विधायक माहौर ने सपना के परिवार वालों से बात करके मेंटल हेल्थ फैसिलिटी में शिफ्ट कराया।
विधायक ने बताया, ‘सपना नाबालिग थीं, तब ही उन्हें घर के कमरे में कैद कर दिया गया था। 17 की उम्र के बाद से ही उन्होंने बाहर की दुनिया नहीं देखी। मैंने जब सुना तो लगा कि कुछ किया जाना चाहिए।’ इलाज कर रहे डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि सपना का मेडिकल टेस्ट कराया जा रहा है। उम्मीद है कि वह जल्द ही रिकवर हो जाएंगी। वहीं परिवार की तरफ से कुछ भी कहने से मना कर दिया गया। पड़ोसियों ने कहा कि सलाह देने पर हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी परिजन देते थे।