मुलायम सोचते रह गए और आडवाणी का रथ रोककर लालू बन बैठे सबसे बड़े सेक्युलर

पटना

बिहार और यूपी की राजनीति में दो नेता दशकों तक सक्रिय रहे। यूपी में स्व. मुलायम सिंह यादव और बिहार में लालू प्रसाद यादव। लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान ये दोनों नेता एक्टिव थे। केंद्र की सरकार को लालू का समर्थन था। केंद्र में लालू के चाहने वाले ज्यादा थे। फिर भी, अयोध्या मसले को लेकर मुलायम सिंह यादव ज्यादा एक्टिव थे। बात तब की है, जब मंडल आयोग की सिफारिशों के दूरगामी राजनीतिक असर की काट के लिए बीजेपी ने ‘हिंदू एकता’ का नारा देते हुए राम मंदिर आंदोलन तेज कर दिया। 1990 के अंतिम चार महीनों में मंडल विरोध और मंदिर आंदोलन से पूरे देश का राजनीतिक माहौल गरमा गया।

आडवाणी ने निकाली रथ यात्रा
ठीक उसी वक्त लाल कृष्ण आडवाणी देश भर में माहौल बनाने के लिए 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ मंदिर से रथ यात्रा पर निकले। 30 अक्तूबर तक रथ यात्रा अयोध्या पहुंचनी थी। इस पूरे प्रकरण को लेकर वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी किताब युद्ध अयोध्या में विस्तार से लिखा है। किताब में ये चर्चा है कि लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के संयोजक प्रमोद महाजन थे। गुजरात से इस यात्रा के रणनीतिकार नरेंद्र मोदी बन गए। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात राज्य बीजेपी के संगठन महामंत्री थे। इस यात्रा के संयोजन से मोदी अगली पंक्ति के नेता के रूप में गिने जाने लगे थे।

बीपी सिंह ने किया लालू को फोन
कहा जाता है कि प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंदिर के सवाल पर बीजेपी से टकराने का फैसला कर लिया था। 23 अक्टूबर की सुबह बिहार के समस्तीपुर में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक दी गई। उन्हें समस्तीपुर के सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद लालू ने उन्हें बंगाल की सीमा पर दुमका जिले के मसानजोर में स्थित इस निरीक्षण भवन के कमरा नंबर तीन में आडवाणी और कमरा नंबर चार में उनके साथ यात्रा में शामिल महाजन को रखा। इस निरीक्षण भवन के आसपास के 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सील कर दिया गया था। किसी को इन बंदियों से मिलने की इजाजत नहीं थी।

पहले देवरिया में रोकी जानी थी रथ यात्रा
लालू से पहले आडवाणी की रथ यात्रा को यूपी के देवरिया में रोकने की प्लानिंग थी। मुलायम सिंह यादव इसके लिए तैयार थे। रथ रोकने वाले वे पहले नेता बनने वाले थे। लेकिन उस समय केंद्र में मौजूद बीजेपी सिंह लालू के ज्यादा करीबी थे। बीपी सिंह को मुलायम सिंह यादव को इनती सियासी पब्लिसिटी मिले, ये पसंद नहीं था। हेमंत शर्मा की किताब में अरुण नेहरू के हवाले से बताया गया है कि बीपी सिंह ने लालू यादव को संदेश भेजा। बीपी सिंह ने कहा कि वे आडवाणी की यात्रा को बिहार में रोक लें। इससे सेक्यूलरिज्म का सारा क्रेडिट उन्हें मिल जाएगा। मुलायम सिंह यादव इससे वंचित रह जाएंगे। उसके बाद लालू ने तत्काल बीपी सिंह की बात पर अमल किया। मुलायम सिंह यादव देश के सबसे बड़े सेक्यूलर कहलाने से बच गए।

रथयात्रा के साथ बीपी सिंह सरकार की उल्टी गिनती
आपको बता दें कि आडवाणी की रथयात्रा जब शुरू हुई तो उसी वक्त तय हो गया था कि केंद्र में वीपी सरकार के पतन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 17 अक्टूबर को बीजेपी ने धमकी दे ही डाली थी कि अगर आडवाणी की रथयात्रा रोकी गई तो वह केंद्र से समर्थन वापस ले लेगी। उधर, मुलायम ने मोर्चा संभाल लिया था कि वह 30 अक्टूबर को अयोध्या में परिंदे को भी पर नहीं मारने देंगे। 23 तारीख को बिहार में लालू आडवाणी को गिरफ्तार करा लेते हैं। उसी रोज बीजेपी केंद्र की वीपी सरकार से समर्थन वापस ले लेती है। इस तरह वीपी सरकार अल्पमत में आ जाती है, लेकिन उधर सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अयोध्या में कारसेवकों का पहुंचना जारी रहता है। 30 अक्टूबर और उसके बाद 2 नवंबर को अयोध्या में जो कुछ भी हुआ वह इतिहास बन चुका है।

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