नई दिल्ली
दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को समन भेजा है। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को कल यानी सोमवार को उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है। मनीष सिसोदिया से पूछताछ के लिए सीबीआई ने सवालों की लिस्ट तैयार कर ली है। मनीष सिसोदिया कल सुबह 11 बजे दिल्ली में सीबीआई के दफ्तर में केंद्रीय जांच एजेंसी के सवालों का सामना करेंगे। इधर सीबीआई के इस समन पर मनीष सिसोदिया की भी प्रतिक्रिया आई है। मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा ‘मेरे घर पर 14 घंटे CBI रेड कराई, कुछ नहीं निकला. मेरा बैंक लॉकर तलाशा, उसमें कुछ नहीं निकला. मेरे गाँव में इन्हें कुछ नहीं मिला..अब इन्होंने कल 11 बजे मुझे CBI मुख्यालय बुलाया है. मैं जाऊँगा और पूरा सहयोग करूँगा.सत्यमेव जयते।’
उपराज्यपाल ने की थी CBI जांच की सिफारिश
गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने राजधानी की नई आबकारी नीति में कथित गड़बड़ियों के आरोपों को लेकर जुलाई महीने में डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। उपराज्यपाल ने चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को निर्देश दिया था कि वह एक रिपोर्ट जमा करके यह बताएं कि नियमों की अवेहलना करते हुए नई आबकारी नीति को तैयार करने, उसे लागू करने और उसमें मनमर्जी के मुताबिक बदलाव करने की छूट देने में किन-किन सरकारी अफसरों और प्रशासकों की मुख्य भूमिका रही है।
मनीष सिसोदिया के खिलाफ क्या है पूरा मामला?
दिल्ली सरकार ने पिछले साल ही अपनी नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी। उपराज्यपाल ने जिस रिपोर्ट को आधार बनाया है, उसमें कहा गया है कि दिल्ली एक्साइज एक्ट और दिल्ली एक्साइज रूल्स का उल्लंघन किया गया। इसके अलावा शराब विक्रेताओं की लाइसेंस फीस भी माफ की गई। इससे सरकार को 144 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में आबकारी मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने वैधानिक प्रावधानों और आबकारी नीति का उल्लंघन किया। इन सभी गड़बड़ियों को देखते हुए ही सीबीआई जांच की सिफारिश करने का फैसला लिया गया। हालांकि, राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति को रद्द कर दिया था और अब पुरानी नीति के तहत ही दिल्ली में शराब की दुकानें खुल गई हैं।
आबकारी नीति में घोटाला किस आधार पर कहा जा रहा है?
इस साल 8 जुलाई को दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट भेजी थी। चीफ सेक्रेटरी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पहली नजर में यह जाहिर होता है कि नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है।
क्या चीफ सेक्रेटरी एलजी को इस तरह की रिपोर्ट भेज सकता है?
एलजी ऑफिस की तरफ से यह साफ किया गया था कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993 के रूल नंबर 57 के तहत चीफ सेक्रेटरी ने यह रिपोर्ट एलजी को भेजी थी। यह रूल कहता है कि पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं के पालन में कोई भी कमी पाए जाने पर चीफ सेक्रेटरी तुरंत उस पर संज्ञान लेकर उसकी जानकारी एलजी और सीएम को दे सकते हैं। यह रिपोर्ट भी इन दोनों को भेजी गई थी।