दिलचस्प! केरल में राज्यपाल को चांसलर के पोस्ट से हटाने के लिए गवर्नर से ही मांगी जा रही मंजूरी

तिरुवनंतपुरम

केरल की सीपीएम सरकार ने मंत्रिमंडल के फैसले के बाद राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने के लिए अपना अध्यादेश मंजूरी के लिए राजभवन भेज दिया। राजभवन के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की। केरल की पिनराई विजयन सरकार और गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान के बीच जारी जंग में यह एक दिलचस्प पहलू है। राजभवन की ओर से बताया गया कि राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने और प्रमुख शिक्षाविदों को इस पद पर नियुक्त करने संबंधी अध्यादेश राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्राप्त हुआ है।

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि इस बात की संभावना नहीं है कि आरिफ मोहम्मद खान जल्द ही अध्यादेश पर कोई फैसला लेंगे, क्योंकि इस मुद्दे पर उनके और राज्य सरकार के बीच विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने बुधवार को इस संबंध में अध्यादेश लाने का फैसला किया था, जिसका कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने विरोध किया था।

कांग्रेस-बीजेपी ने लगाया आरोप
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि मंत्रिमंडल के फैसले का उद्देश्य केरल में विश्वविद्यालयों को ‘कम्युनिस्ट केंद्रों’ में बदलना है। इस बीच, मंत्री पी राजीव और वी शिवनकुट्टी ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल बिना किसी देरी के अध्यादेश को मंजूरी देंगे।

राज्यपाल के हालिया बयान कि वह अध्यादेश राष्ट्रपति को भेजेंगे, इस बारे में पूछे जाने पर कानून मंत्री पी राजीव ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि संवैधानिक पद संभालने वाला कोई व्यक्ति दस्तावेज देखे बिना ऐसा कहेगा। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक राज्यपाल को अध्यादेश मंजूर करना चाहिए और इस संबंध में कोई भी फैसला लेना उनका अधिकार है।

शीर्ष पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं राज्यपाल
मंत्री वी शिवनकुट्टी ने खान पर न केवल शिक्षा क्षेत्र में बल्कि केरल के समग्र विकास में भी बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया वह उस शीर्ष पद के लिए उपयुक्त नहीं है जिस पर खान हैं।

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