दिल्ली में प्रदूषण पर बिफरा हाईकोर्ट, कहा- हम आंखें नहीं मूंद सकते

नई दिल्ली

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की समस्या पर सख्त रुख अपनाते हुए बेहद तल्ख टिप्पणियां की। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस सच्चाई से अपनी आंखें नहीं मूंद सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ के बीच चल रही है। अदालत ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ थी और इसमें मामूली रूप से सुधार होने के चलते यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गई है। ऐसा सरकारी प्रयासों के चलते नहीं हुआ है। मौजूदा वक्त में जो सुधार नजर आ रहा है वह तेज गति से चल रही हवाओं के कारण है।

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासदेव से कहा कि चार हफ्ते के भीतर वनों की कटाई और शहर में पौधारोपण के उपाय पर एक रिपोर्ट दाखिल करने के साथ सुझाव भी दाखिल करें क्योंकि मौजूदा राहत उदार हवाओं के कारण है न कि पौधारोपण के कारण। वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासदेव दिल्ली में वायु प्रदूषण के मामले में न्याय मित्र के रूप में अदालत की मदद कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि हम इस वास्तविकता से आंखें नहीं मूंद सकते कि बीते कुछ हफ्तों से हम हवा की ‘गंभीर’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी की AQI के बीच सांस ले रहे हैं। हम सभी देश की राजधानी दिल्ली में रहते हैं। ऐसे में जब हम वन क्षेत्रों में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए इतने निर्माण कार्यों को देख रहे हैं तो क्या अपनी आंखें बंद कर लें। दिल्ली में अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन के काम हो रहे हैं। यह रातोंरात तो नहीं हो गया। इसके लिए जवाबदेह लोगों को सबकुछ पता है। अगर दिल्ली में जमीन ही नहीं बचेगी तो पौधारोपण कहां से करोगे?

हाईकोर्ट की यह टिप्पणी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से पेश हुए वकील की ओर से दाखिल की गई एक रिपोर्ट के बाद आई। अधिवक्ता की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट में प्रदूषण से निपटने की कार्योजना का विवरण है। सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने अदालत का ध्यान दिल्ली में हो रही अंधाधुंध और बड़े पैमाने पर हो रही वनों की कटाई की ओर आकर्षित कराया। साथ ही दिल्ली एनसीआर में जंगलों की स्थिति से अवगत कराया जहां अनधिकृत निर्माण का काम धड़ल्ले से चल रहा है।

न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में वनों की कटाई से निपटने का एकमात्र तरीका अवैध निर्माण पर लगाम लगाना है। आयोग ने ‘एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने की अपनी नीति’ में कहा कि 2021-22 के दौरान दिल्ली में कुल 28,81,145 पौधे लगाए गए। 2022-23 में 31,89,191 और पौधे लगाने का लक्ष्य है। उच्च न्यायालय दिल्ली में प्रदूषण के मसले पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए पहली फरवरी 2023 की तारीख दी है

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