केरल सरकार में दखल का एक उदाहरण दीजिए, इस्तीफा दे दूंगा… राज्यपाल आरिफ मो. खान की चुनौती

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राजभवन के बाहर एलडीएफ के विरोध प्रदर्शन का जवाब देते हुए कहा क‍ि मुझे एक उदाहरण दीजिए जहां मैंने सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो मैं उसी क्षण इस्तीफा दे दूंगा। दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए खान ने कहा क‍ि विश्वविद्यालयों को चलाने का काम चांसलर का है, सरकार चलाने का काम चुनी हुई सरकार का है। मुझे एक उदाहरण दीजिए जब मैंने सरकार के कामकाज में दखल देने की कोशिश की हो, तो मैं उसी क्षण इस्तीफा दे दूंगा। मैं आपको 1001 ऐसे उदाहरण दे सकता हूं, जहां उन्होंने विश्वविद्यालयों के कामकाज में रोजाना हस्तक्षेप किया।

केरल के राज्‍यपाल ने आगे कहा क‍ि मैं इन चीजों से निपटने वाला नहीं हूं। लेकिन मैं आपको एक बात बता सकता हूं, मुझे लगता है कि इस नतीजे पर पहुंचने के लिए आपके पास पर्याप्त सबूत हैं कि मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं, जिस पर दबाव डाला जा सके। वाम दलों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा क‍ि आप इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाते कि पिछले साल तक केरल में 13 विश्वविद्यालयों में सभी नियुक्तियां अवैध थीं? क्या कोई दूसरा राज्य है जहां कानून का उल्लंघन करते हुए विश्वविद्यालयों में 100 फीसदी नियुक्तियां की गई हों? ये विश्वविद्यालय पार्टी कैडर और उनके रिश्तेदारों की जागीर बन जाते हैं।

‘कभी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे’
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वह कभी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। उन्‍होंने कहा क‍ि सभी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन कोई भी मुझे बांध नहीं सकता। मैं अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाऊंगा। इससे पहले, हजारों वामपंथी समर्थकों ने खान के आधिकारिक आवास के सामने घेराबंदी कर दी थी।

केरल सरकार से क्‍यों ठनी
दरअसल, खान ने उच्च शिक्षा क्षेत्र से संबंधित अध्यादेशों या विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद से विरोध शुरू हो गया। लेकिन न तो विजयन और न ही उनके कैबिनेट सहयोगियों ने आंदोलन में हिस्सा लिया। खान ने कहा क‍ि केरल में चार साल का कोर्स पूरा होने में पांच साल से ज्यादा का समय लगता है। भारत रत्न प्रोफेसर सी.एन.आर. राव ने अपने पत्र में कहा है कि केरल के विश्वविद्यालयों में शोध ठप हो गया है, क्योंकि होनहार छात्र राज्य छोड़ रहे हैं। उन्होंने विजयन के कार्यालय के काम करने के तरीके को दोहराया और बताया कि निजी सचिव अपने तरीके से काम कर रहे हैं और अपने रिश्तेदार को विश्वविद्यालय में नियुक्त करने की कोशिश कर रहे हैं, जो अयोग्य है।

हाईकोर्ट पहुंची केरल सरकार
खान ने कहा क‍ि मेरे पास कुछ विधेयकों में मुख्यमंत्री के सामने रखने के लिए कई सवाल हैं और मैं उनके आने और स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा हूं। वे जानते हैं कि उन्होंने जो किया है वह सही नहीं है, इसलिए वह नहीं आएंगे। इस बीच, केरल में पिनाराई विजयन सरकार ने हाइकोर्ट से विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति यानी राज्यपाल की ओर से नियुक्ति पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। हालांकि, कोर्ट ने मंगलवार को नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

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