अहमदाबाद
गुजरात विधानसभा चुनाव के दोनों चरण के लिए उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल ने भी अपनी-अपनी सीट से पर्चा भरा। हालांकि इस दौरान अल्पेश के साथ खुद सीएम भूपेंद्र पटेल मौजूद रहे लेकिन हार्दिक पटेल अकेले ही रह गए। गुजरात के सियासी गलियारों में इस पर खूब चर्चा हुई। बीजेपी इस पर साफ तौर से तो कुछ नहीं बोल रही लेकिन अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि हार्दिक पटेल के नामांकन में पूर्व सीएम विजय रूपाणी जाने वाले थे लेकिन अंतिम मौके पर किसी कारणवश वह नहीं जा सके। ऐसे में हार्दिक को अकेले ही पर्चा भरना पड़ा।
हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवाणी, 2017 के गुजरात चुनाव में यह तिकड़ी कुछ हद तक बीजेपी के रथ को रोकने को कामयाब रही थी। पाटीदारों के आरक्षण के लिए हार्दिक पटेल ने बड़ा आंदोलन चलाया और उसका नेतृत्व भी किया था। अल्पेश ने ओबीसी समाज को एकजुट किया जबकि जिग्नेश ने दलितों पर पकड़ बनाई। नतीजा यह रहा कि बीजेपी गुजरात में 100 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी।
15 नवंबर को हार्दिक ने भरा नामांकन
हालांकि पांच साल बाद स्थिति बदल गई है। अब हार्दिक और अल्पेश ठाकोर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। हार्दिक पटेल विरमगाम सीट से तो अल्पेश ठाकोर गांधीनगर दक्षिण सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। हार्दिक पटेल ने 15 नवंबर को गुजरात के विरमगाम से नामांकन दाखिल किया था। इस दौरान उन्होंने विरमगाम को जिले का दर्जा दिलाने के लिए अपने वादे सामने रखे थे। लेकिन उनके नामांकन पर किसी बीजेपी नेता के न पहुंचने पर सबकी नजरें टेढ़ी हो गईं।
हार्दिक पटेल इसी साल जून महीने में बीजेपी में शामिल हुए। उस वक्त भी बीजेपी के अंदर असहज की स्थिति बनी थी। कई कार्यकर्ता बीजेपी में हार्दिक की एंट्री को लेकर नाराज थे। कार्यकर्ताओं का कहना था कि जिस हार्दिक पटेल ने बीजेपी नेताओं को इतना भला-बुरा कहा हो, उसका पार्टी में शामिल होना दुख की बात है। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा।
हार्दिक से बीजेपी की दूरी की वजह क्या?
हार्दिक के बीजेपी में आने से कार्यकर्ताओं की नाराजगी समझ में आती है लेकिन नामांकन के दौरान गुजरात बीजेपी के शीर्ष नेताओं में से किसी का न पहुंचना कई सवाल खड़ा करता है। गौरतलब है कि गुजरात की 182 सीटों पर 1 और 5 दिसंबर को मतदान होने वाले हैं। वहीं 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे।