भोपाल
मध्य प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है, ऐसा दावा यहां की सरकार करती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री तक यह दावा कई बार कर चुके हैं। सीएम शिवराज तो खाद की कमी की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी तक दे चुके हैं। इस बीच गुरुवार को छतरपुर जिले में खाद के लिए लाइन में लगे एक किसान की मौत हो गई। वह कई दिनों से खाद के लिए वितरण केंद्रों के चक्कर लगा रहा था। गुरुवार को भी सुबह से ही वह इपने पिता के साथ लाइन में लगा था। उसे खाद तो मिल गई, लेकिन तभी उसे सीने में तेज दर्द हुआ। पिता उसे एंबुलेंस से अस्पताल लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इससे पहले सीहोर में भी हुई मौत
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में भी खाद के लिए लाइन में खड़े एक किसान की मौत हो गई थी। मृतक के बेटे ने सीधे सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बताया था। बेटे ने आरोप लगाया था कि सरकार किसानों को यूरिया उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इस बारे में जब हमने प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पटेल ने कहा था कि वे फिलहाल गुजरात में हैं। वे हालांकि यह बताने से नहीं चूके कि प्रदेश में खाद की कोई किल्लत नहीं है।
एसडीएम ने बताया अजीबोगरीब कारण
बहरहाल, गुरुवार को हुई मौत के बाद एनबीटी ने छतरपुर के कलेक्टर से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। बिजावर के एसडीएम राहुल सिलाडिया ने बताया कि किसान की मौत के लिए खाद की कमी कारण नहीं है। उसे खाद तो मिल गई थी, लेकिन बोरी 50 किलो भारी था। ज्यादा भार उठाने के चलते उसे हार्ट अटैक आ गया।
जिले में खाद की कमी नहीं होने का दावा
राहुल सिलाडिया ने बताया कि छतरपुर जिले में खाद की कोई कमी नहीं है। सभी सरकारी वेयर हाउस में खाद उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि वेयरहाउस में किसानों की सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। किसानों के लिए पानी के अलावा अंदर बैठने का भी इंतजाम किया गया है। सिलाडिया ने किसान की मौत के लिए प्रशासन को किसी तरह जिम्मेदार मानने से इनकार कर दिया।
कब तक जिम्मेदारी से भागेंगे अधिकारी
सरकार और अधिकारी चाहे कुछ भी कहें, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदेश में खाद का गंभीर संकट है। कमोबेश हर जिले में खाद के लिए किसानों की लंबी लाइनें लग रही हैं। इसके बावजूद खाद नहीं मिल पा रही। कई जगह पर नकली खाद मिलने की शिकायतें भी मिल रही हैं। किसानों का यह भी आरोप है कि निजी खाद दुकानों में ज्यादा कीमत पर खाद आसानी से मिल रही है। ऐसे में सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती।