जिनपिंग कुर्सी छोड़ो के नारे, खाली सफेद पन्ने लेकर प्रदर्शन… चीन में क्यों भड़के हैं लोग

नई दिल्ली,

चीन में सख्त कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ लोगों का कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है. बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और राष्ट्रपति जिनपिंग के कुर्सी छोड़ने की मांग कर रहे हैं. बीजिंग और शंघाई के प्रमुख शहरों में छात्रों सहित बड़ी संख्या में लोगों को प्रदर्शन करते देखा गया है. वायरल हो रहे वीडियो में लोगों के हाथों में मोमबत्ती, पोस्टर्स और मोबाइल की टॉर्च दिखाई दे रही है. इसके साथ ही छात्र खाली सफेद पन्ने लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं.

दरअसल, उत्तर पश्चिम क्षेत्र की राजधानी उरुमकी में गुरुवार रात को एक इमारत में आग लगने के बाद से लोगों का गुस्सा भड़का हुआ है. इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाए कि कोविड प्रतिबंधों के चलते बचाव कार्य में बाधा हुई, जिससे लोगों की मौत हो गई.

रॉयर्टर्स की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे लोगों ने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी की. चीन में कोरोना की रफ्तार लगातार बढ़ रही है, जिसके चलते चीनी सरकार ने कई इलाकों में सख्त लॉकडाउन लागू किया हुआ है. रविवार को चीन में कोरोना के 40 हजार मामले सामने आए हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को ‘कम्युनिस्ट पार्टी स्टेप डाउन’, ‘शी जिनपिंग स्टेप डाउन’ और ‘झिंजियांग में लॉकडाउन खत्म करो’ के नारे लगाते हुए दिखाया गया है. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर कई लोगों को हिरासत में भी लिया है.

शनिवार के विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने पड़ोसियों के साथ शामिल होने वाले बीजिंग निवासी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वह उरुमकी अपार्टमेंट में आग जैसी आपदाओं की खबर से दुखी हैं. उन्होंने जनवरी की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया. जिसमें एक गर्भवती महिला का सिर्फ इसलिए गर्भपात को गया क्योंकि उसे अस्पताल में एंट्री नहीं मिल सकी. प्रत्यक्षदर्शियों ने समाचार एजेंसी को बताया कि शनिवार को शंघाई के निवासी मोमबत्ती लेकर इकट्ठा हुए. इस दौरान उन्होंने खाली सफेद कागज भी लिए हुए थे. देखते ही देखते ये सफेद कागज इस प्रदर्शन का मुख्य प्रतीक बन गए.

लोगों का आरोप, लॉकडाउन के चलते नहीं बच सकी जान
रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में लोगों को उरुमकी की सड़कों पर कोविड-विरोधी नीति का विरोध करते हुए दिखाया गया है. कई वीडियो में दावा किया गया है कि कोविड-19 के सख्त उपायों ने बचाव कार्यों में बाधा डाली और इसके चलते आग से 10 लोगों की जान नहीं बच सकी क्योंकि इमारत आंशिक रूप से बंद थी.

वहीं उरुमकी में अधिकारियों ने शनिवार को उन आरोपों का खंडन करने के लिए एक प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें कहा गया था कि कोविड प्रतिबंधों के चलते बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई. अधिकारियों ने कहा कि इमारत में कोई बैरिकेड्स नहीं थे और निवासियों को अंदर जाने की अनुमति थी.

चीनी विरोध घरों में कैद हुए करोड़ों लोग
बता दें कि चीन ने देश के कुछ इलाकों में लंबे समय से लॉकडाउन लगाया हुआ है. जिसके तहत विशाल झिंजियांग क्षेत्र में 1 करोड़ उइगर लोग घरों में ही रहने को मजबूर हैं. वहीं उरुमकी के 40 लाख निवासियों में से कई पर 100 दिनों तक के लिए अपने घरों से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है. बीजिंग में रहने वाले सीन ली ने रॉयटर्स को बताया कि उरुमकी आग ने देश में सभी को परेशान कर दिया है.

जो वीडियो ऑनलाइन प्रसारित हो रहे हैं, उनमें लोगों को चीन का राष्ट्रगान गाते हुए दिखाया गया है. जिसमें लोग कह रहे हैं, ‘उठो, जो गुलाम होने से इनकार करते हैं’ और अन्य लोग चिल्ला रहे हैं कि वे लॉकडाउन से मुक्त होना चाहते हैं.

अधिकारियों के बयान से और भड़के लोग
वहीं अधिकारियों द्वारा आग लगने में मरने वालों की जिम्मेदारी बिल्डिंग में रहने वाले लोगों पर ही डाल दी गई. जिससे जनता का गुस्सा और बढ़ गया. उरुमकी के अग्निशमन विभाग के प्रमुख ली वेन्शेंग ने एपी के हवाले से कहा, “कुछ निवासियों में खुद को बचाने के लिए कमजोर क्षमता थी.”

लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे. जिनमें कथित तौर पर दिखाया कि कई निवासी कोविड -19 प्रतिबंध के कारण अपने घरों में बंद थे. उरुमकी पुलिस ने वीबो पर एक शुक्रवार की पोस्ट में कहा कि उन्होंने आग से हताहतों की संख्या के संबंध में ‘ऑनलाइन अफवाहें फैलाने’ के लिए एक महिला को हिरासत में लिया है.

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