‘रिंग ऑफ फायर’ के बाद अब रेगिस्तान में भूकंप… क्या पृथ्वी के टुकड़े हो रहे हैं?

तेहरान,

ईरान के होरमोजगान प्रांत के गावमिरी से 10 किलोमीटर दूर 5.6 तीव्रता का भूकंप आया. झटका इतना ताकतवर था कि बहरीन, सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात के कई हिस्से हिल गए. इस बात की पुष्टि यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) ने भी की. इस भूकंप की वजह से इन रेतीले देशों में किसी के मारे जाने या किसी अन्य नुकसान की खबर नहीं आई. लेकिन ईरान का इलाका क्यों कांप रहा है?

असल में ईरान (Iran) भूकंपों वाली जमीन पर बसा है. यहां बेहद ज्यादा तीव्रता के भूकंपों का इतिहास रहा है. अप्रैल 2013 में आए 7.7 तीव्रता के जलजले ने पूरे रेगिस्तानी देश को हिला दिया था. असल में तेल के कुओं के लिए प्रसिद्ध यह देश भूकंप के हाई रिस्क जोन पर टिका है. 2013 में आया भूकंप इतना तगड़ा था कि करीब 2300 किलोमीटर दूर स्थित नई दिल्ली की जमीन तक हिल गई थी. ईरान में इस आपदा में तो 35 लोग मारे गए थे. लेकिन पाकिस्तान की हालत खराब हो गई थी. क्योंकि भूकंप का केंद्र ईरान-पाकिस्तान की सीमा पर था.

ईरान दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो भूकंपों से सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं. इस देश के नीचे इतने ज्यादा सीस्मिक फाल्ट्स हैं, जो पूरे देश का 90 फीसदी इलाका घेर लेते हैं. साल 2013 में आए भूकंप से 40 साल पहले इतना खतरनाक भूकंप आया था. ईरान की जमीन के नीचे कई टेक्टोनिक प्लेटों का जमावड़ा है. साल 1900 से लेकर अब तक ईरान में इतने भूकंप आए हैं कि उनसे करीब सवा लाख लोग मारे गए हैं.

क्यों इतनी ज्यादा हिलती है ईरान की जमीन?
अगर आप टेक्टोनिक प्लेट्स का नक्शा देखेंगे तो पता चलेगा कि ईरानियन टेक्टोनिक प्लेट के दक्षिण-पूर्व में इंडियन प्लेट है. उत्तर में यूरेशियन प्लेट है. दक्षिण और पश्चिम में अरेबियन प्लेट है. अब इन प्लेटों में जरा सी भी हलचल चारों प्लेटों को हिला देती है. दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि अरेबियन प्लेट के पास ही जागरोस फोल्ड एंड थ्रस्ट बेल्ट है. यह एक प्राचीन सबडक्शन जोन है.

जागरोस फोल्ड एंड थ्रस्ट बेल्ट अरेबियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच मौजूद 1800 किलोमीटर लंबी रेखा है. असल में यह जमीन के अंदर मौजूद एक घाटी है. इसी घाटी के ऊपर दुनिया का 49 फीसदी पेट्रोलियम उत्पाद पैदा करने वाला इलाका है. यानी तेल उत्पादक देश हैं. अरेबियन प्लेट हर साल 3 सेंटीमीटर यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ रही है. जिसकी वजह से जागरोस फोल्ड एंड थ्रस्ट बेल्ट में लगातार हलचल होती है. ये सबडक्शन जोन प्लेटों के बीच के दबाव को बर्दाश्त नहीं करती. उसे आगे बढ़ा देती है. जिसका असर अलबोर्ज के पहाड़, कॉकेसस माउंटेंस और ईरानियन पठार को सहना पड़ता है. इसलिए ईरान की जमीन थर्रा जाती है.

ईरान का 90 फीसदी इलाका खतरनाक जोन में
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस के भूकंप विज्ञानी फ्रेडरिक टिलमैन कहते हैं कि ईरान भूकंप के अत्यधिक संभावित इलाके में है. यहां पर सबसे ज्यादा फॉल्ट लाइन्स हैं. यानी टेक्टोनिक प्लेटों की वजह से बनी जमीन के अंदर की दरारें. ईरान और इराक के बीच अरेबियन और यूरेशियन प्लेट की वजह से फॉल्ट लाइन बनी हुई है. इसी की वजह से जागरोस माउंटेन तैयार हुआ था. इस देश का 90 फीसदी इलाका अत्यधिक खतरनाक जोन में है.

ईरान में अब तक आया सबसे खतरनाक भूकंप
साल 1978 में ईरान में सबसे खतरनाक भूकंप आया था. रिक्टर पैमाने पर उसकी तीव्रता 7.8 थी. इस भूकंप की वजह से ईरान में 20 हजार लोग मारे गए थे. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला भूकंप 1990 में 7.7 तीव्रता का आया था. इस भूकंप में 50 हजार से ज्यादा ईरानी लोग मारे गए थे और 1.35 लाख से ज्यादा जख्मी हुए थे. 4 लाख लोग बेघर हो गए थे. सड़कें, नहरें, खेत आदि तो बुरी तरह से बर्बाद हो गए थे.

भूकंपों की भविष्यवाणी… नामुमकिन है
भूकंपों की भविष्यवाणी करना किसी भी देश या तकनीक के लिए नामुमकिन है. जलवायु परिवर्तन की वजह से ये घटनाएं और बढ़ सकती है. पिछले कुछ दशकों में ईरान में पड़ने वाला सूखा, तेल और पानी की अत्यधिक निकासी की वजह से जमीन अंदर से खोखली होती जा रही है. प्लेटों में हुई जरा सी हलचल या ज्वालामुखीय गतिविधियों की वजह से धरती की ऊपरी सतह कांप जाती है. जहां तक बात रही धरती के टुकड़े होने की तो आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि कुछ हजार सालों में सभी महाद्वीप एकदूसरे से मिलकर सुपर-कॉन्टीनेंट बनाएंगे. यानी सभी प्लेटें एकदूसरे से चिपक जाएंगी.

 

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