अमेरिका लॉन्च करने जा रहा चीनी J-20 का काल, रूसी S-400 के रडार भी होंगे नाकाम

वॉशिंगटन

रूस और चीन से बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका अपना बहुप्रतीक्षित स्टील्थ बॉम्बर बी-21 रेडर को लॉन्च करने जा रहा है। यह बॉम्बर इतना ज्यादा स्टील्थ है कि एस-400 जैसा दुनिया का सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम भी इसका पता नहीं लगा सकता। इस विमान को स्पेशल बॉम्बिंग मिशन और दुश्मन के इलाके में अंदर तक स्ट्राइक करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। अमेरिकी वायु सेना ने बी-21 राइडर को लॉन्च करने के लिए 2 दिसंबर की तारीख तय की है। बी-21 रेडर पहले से वायु सेना में शामिल बी-1 और बी-2 बाम्बर की पुरानी फ्लीट की जगह लेगा। इस बॉम्बर की तैनाती से अमेरिका की सामरिक शक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा।

दुनिया का सबसे अडवांस बॉम्बर है बी-21
बी-21 रेडर को बनाने वाली अमेरिकी कंपनी नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन का दावा है कि यह दुनिया में अब तक का सबसे अडवांस बॉम्बर है। इतना ही नहीं, कंपनी का यह भी कहना है कि बी-21 रेडर किसी भी एयर डिफेंस को भेदकर दुश्मन के इलाके में सटीक बाम्बिंग मिशन को अंजाम दे सकता है। नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन ने बताया है कि बी-21 रेडर की पांच यूनिट को असेंबल किया जा चुका है। 2 दिसंबर को इन्ही विमानों को टेस्टिंग के लिए अमेरिकी वायु सेना को सौंप दिया जाएगा। इन विमानों को कैलिफोर्निया के पामडेल में एयर फोर्स प्लांट 42 में बनाया गया है। ये एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग और मैन्यूफैक्चरिंग डेवलपमेंट (EMD) बैच का हिस्सा हैं। इस परियोजना को लॉन्ग रेंज स्ट्राइकर बॉम्बर (LRS-B) कॉन्ट्रैक्ट के तहत फंड दिया गया है।

अमेरिका वायु सेना ने छिपाई यह जानकारी
अमेरिकी वायु सेना ने अभी इस बात का खुलासा नहीं किया है कि वह बी-21 रेडर की कितनी यूनिट खरीदने जा रही है। हालांकि कई डिफेंस एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि अमेरिकी वायु सेना बी-21 रेडर की कम से कम 150 यूनिट को शामिल करने की योजना पर काम कर रही है। सफल परीक्षणों के बाद इस बॉम्बर का बड़ा ऑर्डर नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन को सौंपा जाएगा। ये बॉम्बर शुरुआत में अमेरिका से ही ऑपरेट किए जाएंगे। बाद में इन्हें दुनियाभर में स्थित अमेरिकी वायु सेना के दूसरे हवाई अड्डों पर भेजा जाएगा।

बी-21 का हैंगर हुआ तैयार, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पूरा
बी-21 रेडर को रखने के लिए हैंगर और दूसरे जरूरी इंफ्रास्ट्रक्टर के निर्माण का काम पिछले एक साल से जारी था। विमान को वायु सेना में शामिल करने से पहले इन सुविधाओं को विकसित करना काफी महत्वपूर्ण था। इस कारण इन सुविधाओं को बनाने का कांन्ट्रैक्ट खुद वायु सेना ने संभाला। शुरुआत में ऐसा अंदेशा जताया जा रहा था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस प्रोजक्ट में बहुत ज्यादा लेट हो सकता है। लेकिन महामारी में दो साल गंवाने के बावजूद मात्र 11 महीने के विलंब से इस बॉम्बर को कमीशन किया जा रहा है।

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