नई दिल्ली
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की गिनती देश के सबसे बड़े अस्पतालों में होती है. इस अस्पताल में वीवीआईपी इलाज कराने आते हैं. इनमें बिजनेसमैन, नेता शामिल हैं. इन वीवीआईपी हस्तियों का हेल्थ डाटा और मेडिकल हिस्ट्री इस अस्पताल में सेफ रहता है.
लेकिन हाल ही में इस अस्पताल पर हुआ सर्वर अटैक और इससे जुड़ी जानकारियां बेहद चिंताजनक है. अबतक की जांच में पता चला है कि इस सर्वर अटैक में चीन की साजिश है. सबसे चिंजाजनक बात यह है कि चीनी हैकरों ने इस डाटा को कथित रूप टे डार्क वेब पर डाल दिया है. डार्क वेब पर साइबर क्राइम में शामिल एंटी सोशल एलिमेंट AIIMS से लीक हुए इस डेटा को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं. इनकी बुरी नजर बड़ी हस्तियों और नेताओं के हेल्थ डाटा पर है.
आजतक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार डार्क वेब पर एम्स के इस डेटा को लेकर जबर्दस्त हलचल मची है. लोग इस डेटा को सर्च कर रहे हैं. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार साइबर की दुनिया के अंडरवर्ल्ड कहे जाने वाले डार्क वेब पर AIIMS डाटा पर 1600 बार सर्च किया गया है.
चीन की साजिश, डार्क वेब की काली दुनिया
एम्स पर हुआ साइबर हमला कितना खतरनाक है, इसका क्या असर हो सकता है, ये जानने से पहले हम आपको ये बताना चाहते हैं कि आखिर डार्क वेब है क्या? डार्क वेब की काली दुनिया में होता है. आसान भाषा में समझें तो डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो अड्डा है जहां अनैतिक और अवैध गतिविधियां होती है. इस पर किसी कानून का नियंत्रण नहीं होता है. डार्क वेब को हैकर-एक्सपर्ट चलाते हैं.
दरअसल डार्क वेब वर्ल्ड वाइड वेब यानी कि इंटरनेट नेटवर्क का एक छिपा हुआ हिस्सा है जिसमें सभी छिपे हुए, हैक किए गए और अवैध डेटा मौजूद रहते हैं. हैक किए गए डेटा को यहां अवैध रूप से बेचा और खरीदा जाता है. इस हैक डेटा में निजी तस्वीरें, वित्तीय लेन-देन, मेडिकल हिस्ट्री, देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं जैसे चीजें शामिल रहती हैं. डार्क वेब पर सबकी एंट्री नहीं हो सकती है. इंटरनेट की इस काली दुनिया में साइबर एक्सपर्ट और साइबर क्रिमिनल ही प्रवेश कर सकते हैं.
AIIMS के 5 सर्वरों को बनाया गया निशाना
AIIMS साइबर अटैक के मामले में अबतक जो जानकारियां सामने आई है उसके अनुसार इस हमले की वजह से निजी डाटा की सेंधमारी की गई है. हैकरों ने एम्स के 5 सर्वर को निशाना बनाया है. सूत्र बताते हैं कि ये हैकिंग चीन से की गई है.
दिल्ली पुलिस की IFSO शाखा ने कहा है कि हैकरों ने कुल 5 सर्वरों को निशाना बनाया था. हालांकि उनका दावा है कि इसमें किसी तरह का डाटा नुकसान नहीं हुआ है. जिन सर्वरों तक हैकरों ने कथित रूप से पहुंच बनाने की कोशिश कि उसकी जांच सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) कर रही है. CFSL की दिल्ली और अहमदाबाद की टीम इस इन्फेक्टेड सर्वर की जांच कर रही है.
पहली बार IFSO कर रही हैं जांच
सूत्रों के अनुसार क्योंकि ये गंभीर हैकिंग का मामला है इसलिए पहली बार इसकी जांच IFSO द्वारा की जा रही है. अबतक की जांच में पता चला है कि हैकर कुछ सबूत भी इंटरनेट पर छोड़ गए हैं, इससे IFSO को जांच में आसानी हो रही है. जांच एजेंसियों ने बताया कि इन सबूतों की जांच के बाद ही स्पष्ट रूप से पता चल पाएगा कि इस हैकिंग की उत्पत्ति कहां से हुई है.