पासाडेना,
सूरज में पिछले कुछ दिनों से विशालकाय काले गड्डे बन रहे हैं. ये गड्डे किसी बड़ी घाटी की तरह गहरे और बड़े है. इतने बड़े कि इनमें कई धरती समा जाए. इनके अंदर से बेहद तेज गति से गर्म सौर लहर निकल रही है. वैज्ञानिकों ने ताजा गड्ढा हाल ही में देखा था. जिसका असर अगले 2 दिन में पृथ्वी पर पड़ेगा. इनसे निकलने वाली सौर लहर दिक्कत कर सकती है.
वैज्ञानिक इन गड्ढों को कोरोनल होल (Coronal Hole) कह रहे हैं. ये सूरज के बीचो-बीच बना है. ये तब बनता है जब सूरज के ऊपरी वायुमंडल के इलेक्ट्रिफाइड गैसों यानी प्लाज्मा का तापमान गिरता है. लेकिन ये बाकी जगहों से ज्यादा घना होता है. इस वजह से काले रंग का दिखता है. दूर से लगता है कि सूरज में गड्ढा हो गया है.
इन गड्ढों के किनारे सूरज की चुबंकीय रेखाएं मजबूत हो जाती है. ऐसे में वो गड्ढों के अंदर मौजूद सौर पदार्थों को तेजी से बाहर खींचती हैं. इस समय इन गड्ढों से जो सौर तूफान निकल रहा है, उसकी गति 2.90 करोड़ किलोमीटर प्रतिघंटा है. इस लहर में तीव्र इलेक्ट्रॉन्स, प्रोटोन्स और अल्फा पार्टिकल्स निकलते हैं. इन्हें धरती की चुंबकीय शक्ति सोखती है.
सोखने की प्रक्रिया में सूरज की लहर और धरती के चुंबकीय क्षेत्र में एक जंग छिड़ जाती है. जिसे जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (Geomagnetic Storm) कहते हैं. पृथ्वी के दोनों ध्रुवों पर वायुमंडल पतला है. वहां से सौर लहरें वायुमंडल को चीर कर अंदर आ जाती हैं. ऐसे में वहां पर रंग-बिरंगी रोशनी तैरने लगती है. जिसे नॉर्दन लाइट्स कहते हैं.
फिलहाल इन गड्ढों की वजह से जो सौर तूफान धरती की ओर आ रहा है, वो जी-1 जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म है. यानी उससे बहुत ज्यादा खतरा नहीं है. लेकिन बिजली के ग्रिड और कुछ सैटेलाइट्स पर असर पड़ सकता है. यहां तक कि अमेरिका के मिशिगन और यूरोप के मायन के ऊपर नॉर्दन लाइट्स बन सकता है.
इनमें से पहला गड्ढा तब बना था जब भारत में छठ पर्व मनाया जा रहा था. उस दिन सूरज की मुस्कुराती हुई तस्वीर जारी की गई थी. असल में ये गड्ढे तभी से बनने शुरू हुए हैं. इसके बाद से लगातार चार से पांच बार ये गड्ढे बन चुके हैं. हाल में जो गड्ढा है, वो 30 नवंबर 2022 को देखा गया था. इस गड्ढे का असर अगले दो दिनों में धरती पर होगा.
आमतौर पर सूरज से निकलने वाले तूफानों को धरती पर आने में 15 से 18 घंटे लगते हैं. लेकिन ये तब होता है जब वह बेहद तीव्र हो. अगर कमजोर स्तर का तूफान है, तो उसे पहुंचने में 24 से 30 घंटे लग जाते हैं. इस समय सूरज का 11 साल का साइकिल चल रहा है, जिसकी शुरुआत 2019 दिसंबर में हुई है. उससे पहले सूरज शांत था. लेकिन अब जाग गया है.
सूरज के सोने और जगने की साइकिल के बारे में सबसे पहले 1775 में पता चला था. तब से उस पर लगातार नजर रखी जा रही है. माना जा रहा है कि सूरज की सबसे अधिक गतिविधियां साल 2025 में होंगी. दुनिया का सबसे बड़ा सौर तूफान 1895 में दर्ज किया गया था. इसे कैरिंग्टन इवेंट (Carrington Event) कहते हैं. इससे इतनी ऊर्जा निकली थी, जितनी एक मेगाटन ताकत वाले 1000 करोड़ एटम बम से निकलती.