कोलंबो
श्रीलंका को कंगाल बनाने के बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। श्रीलंका के विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि चीन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद पाने में अड़ंगा लगा रहा है। वह श्रीलंकाई अधिकारियों को रिश्वत देकर विदेशी मदद पाने की राह में रोड़े अटका रहा है। विपक्ष के इस दावे के बाद से श्रीलंका में चीन को लेकर कोहराम मचा हुआ है। श्रीलंका पर सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज चीन का ही है। इन कर्जों का बड़ा हिस्सा पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में लिया गया था। अब श्रीलंका उस कर्ज को चुकाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में उसे अपने खर्चे चलाने और विदेशों से मिले कर्ज की किश्त अदा करने के लिए आईएमएफ से 2.9 बिलियन डॉलर के पैकेज की जरूरत है।
श्रीलंका पर 51 बिलियन डॉलर का कर्ज
श्रीलंका पर वर्तमान में 51 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज है। श्रीलंका ने सितंबर में इस कर्ज को चुकाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक कर्मचारी स्तर का समझौता किया था। सरकार का दावा है कि यह कार्यक्रम श्रीलंका की पस्त अर्थव्यवस्था को सुधार के रास्ते पर ले जाएगा। इससे दिवालिया हो चुका देश अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से फिर से उधार लेने के योग्य हो जाएगा। उधर, आईएमएफ उन देशों से बातचीत कर रहा है, जिन्होंने श्रीलंका को कर्ज दिए हैं। श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले देशों में चीन, भारत और जापान शीर्ष पर काबिज हैं।
सांसद बोले- चीन श्रीलंका का नहीं राजपक्षे का मित्र
श्रीलंकाई संसद में बोलते हुए तमिल नेशनल अलायंस के विपक्षी सांसद शनकियान रसमनिक्कम ने चीन पर श्रीलंका के आईएमएफ सौदे को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने चीन पर आरोप लगाया कि वह श्रीलंकाई लोगों को रिश्वत देकर परियोजनाओं को रोकने की साजिश रच कहा है। शनकियान रसमनिक्कम ने कहा कि अगर चीन वास्तव में श्रीलंका का मित्र है, तो उसे अपने दिए हुए कर्ज को चुकाने की समय सीमा बढ़ानी चाहिए। उसे आईएमएफ प्रोग्राम में मदद भी करनी चाहिए। उन्होंने चीनी कर्ज से बने हंबनटोटा और कोलंबो का जिक्र करते हुए कहा कि चीन श्रीलंका का मित्र नहीं है। चीन महिंदा राजपक्षे का मित्र है।
आईएमएफ से मदद की आस में श्रीलंका
इस हफ्ते की शुरुआत में श्रीलंकाई सेंट्रल बैंक के गवर्नर नंदलाल वीरासिंघे ने कहा कि अगर श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के दिसंबर की समय सीमा से चूक जाता है, तब भी हमारे पास जनवरी तक का समय है। श्रीलंकाई अधिकारियों का दावा है कि सभी कर्जदार देशों के साथ बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। हालांकि अभी तक किसी भी देश ने कर्ज चुकाने की समयसीमा को आगे बढ़ाने पर लिखित आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आईएमएफ से कर्ज नहीं मिलता है तो श्रीलंका के लिए भविष्य में मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।