अहमदाबाद
एक तरफ जहां 14वीं गुजरात विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। वहीं, विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास (LAD) निधि की 272 करोड़ रुपये से अधिक की राशि, जो विधायकों द्वारा अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में परियोजनाओं पर खर्च की जानी थी अब तक खर्च नहीं हुई है। जिसके चलते 272 करोड़ रुपए पड़े रह गए।
यह पिछले पांच सालों में आवंटित 1,076 करोड़ रुपये के अनुदान का एक चौथाई है। जिन विधायकों के फंड की धनराशि समाप्त हो जाएगी उनमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र घाटलोडिया से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, राजकोट पश्चिम के एक विधायक जो इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं शामिल हैं।
कुल आवंटित एमएलए LAD फंड में से केवल 803.98 करोड़ रुपये खर्च किए गए: गुजरात सरकार के एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के ऑनलाइन आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 से 2022-23 के बीच आवंटित कुल एमएलए LAD फंड में से केवल 803.98 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि गुजरात में MLA LAD फंड का उपयोग करके 46,068 काम पूरे किए गए और 9815 काम अभी शुरू होने बाकी हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 6688 काम अधूरे हैं और इस अवधि के दौरान 5212 काम रद्द कर दिए गए।
एमएलए एलएडी योजना के तहत प्रत्येक विधायक अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल 1.5 करोड़ रुपये के कार्यों की सिफारिश या सुझाव दे सकता है। प्रत्येक जिले में नियोजन कार्यालय इन कार्यों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति देता है और इस पैसे का लेखा-जोखा भी रखता है।
पूर्व सीएम रूपाणी की सीट पर 42 फीसदी धनराशि खर्च नहीं हुई: सीएम पटेल के निर्वाचन क्षेत्र घाटलोडिया में पिछले पांच वर्षों के अंत में एमएलए एलएडी फंड का लगभग 27% बचा रहा। पूर्व सीएम रूपाणी की सीट पर 42 फीसदी धनराशि खर्च नहीं हुई है। 2021 के बाद से जब रूपाणी को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया है। इस अवधि में आवंटित 33 कार्य अभी शुरू होने हैं।
कांग्रेस के नेता विपक्ष सुखराम राठवा और पूर्व एलओपी परेश धनानी के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों में हालात थोड़े बेहतर हैं। छोटा उदेपुर में राठवा के जेतपुर निर्वाचन क्षेत्र को आवंटित एमएलए एलएडी फंड का केवल 8.31% बचा हुआ है जबकि धनानी के क्षेत्र अमरेली में यह आंकड़ा 26% है।
ऐसा प्रतीत होता है कि 2020 की शुरुआत में महामारी शुरू होने के बाद खर्च कम हो गया था। 2017 से 2020 तक लगभग 85-98% धन खर्च किया गया था। 2021-22 और 2022 से अब तक केवल 64% और 14% अनुदान खर्च किया गया है। 2018-19 में अनुदान के रूप में दिए गए 268 करोड़ रुपये में से केवल 5.5 करोड़ रुपये बचे थे, तो 2022 से अब तक दिए गए 173 करोड़ रुपये के अनुदान में से 149 करोड़ रुपये बचे हुए हैं।