रूस ने तेल पर लगाए प्राइस कैप को किया खारिज, कहा- ‘हमें नहीं है मंजूर’

नई दिल्ली,

रूस के समुद्री कच्चे तेल पर यूरोपीय संघ, ग्रुप ऑफ सेवन (G7) में शामिल देशों और ऑस्ट्रेलिया ने 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगाया था. अब रूस ने इसे मानने से इनकार कर दिया है. रूस की न्यूज एजेंसी TASS के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा- ‘हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं. इस तरह की कैप के लिए कुछ तैयारियां की गई थीं. हम प्राइस कैप को स्वीकार नहीं करेंगे और हम आपको सूचित करेंगे कि किस तरह से इस काम को आगे बढ़ाया जाएगा.’

रूस को कमजोर करने की कोशिश
शुक्रवार को यूरोपीय संघ ने रूस के तेल पर 60 डॉलर प्रति-बैरल का प्राइस कैप लगाने पर सहमति जताई थी. यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पश्चिमी देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं. अब वो रूस के तेल पर प्राइस कैप लगाकर उसकी वित्तीय स्थिति को कमजोर करना चाहते हैं. रूस तेल निर्यात से बड़े पैमाने पर रेवेन्यू प्राप्त करता है. G7 देश के साथ ऑस्ट्रेलिया ने भी रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप लगाने पर सहमति जताई है.

प्राइस कैप से जेलेंस्की खुश नहीं
रूस के तेल पर प्राइस कैप सोमवार, 5 दिसंबर से लागू हो जाएगा. पश्चिमी देशों की सरकारें रूस के तेल निर्यात की कीमत को सीमित करने पर सहमत हुई हैं, ताकी उसे आर्थिक रूप से झटका दिया जा सके. हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी तेल पर कोई मजबूत प्राइस कैप नहीं लगाया गया है. क्योंकि यह मास्को के लिए काफी आरामदायक है.

भारत कर रहा है आयात
रूस अपने तेल का निर्यात कर बड़ी राशि जुटाता है. लेकिन इस प्राइस कैप के बाद भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है. रूस अपने तेल का निर्यात कर बड़ी राशि जुटाता है. लेकिन इस प्राइस कैप के बाद भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है. भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिका को रास नहीं आ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी आलोचना भी की थी. लेकिन भारत ने रूस से तेल का आयात बंद नहीं किया.

कच्चे तेल के भाव में गिरावट
एक सोर्स के अनुसार, भारत अभी भी रूसी क्रूड के लिए ब्रेंट से 15-20 डॉलर प्रति बैरल कम भुगतान कर रहा है. इसका मतलब है कि डिलीवर किए गए कार्गो की कीमत भी प्राइस कैप के आसपास ही है. इसलिए प्राइस कैप लगने के बावजदू भारत पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ने की संभावना है. दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गया है.

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