भोपाल
कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आईं पांच मादा चीतों को भी बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है। रविवार को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस पर तब्लिसी ने अपना पहला सफल शिकार किया है। पिछले ही सप्ताह तब्लिसी को छोटे से बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। तब्लिसी ने रविवार की सुबह कुछ सेकंड में ही एक चीतल को मार गिया है। चीता दिवस पर उसके शिकार ने प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों में जोश भर दिया है।
भारतीय माहौल में ढल रहे चीते
एक्सपर्ट ने गौर किया है कि नामीबिया से आए चीते भारतीय माहौल में कितने अच्छे तरीके से ढल रहे हैं। आठ में से पांच चीते अब खुद से शिकार करके खाना खा रहे हैं। चीते छोटे से मध्यम आकार के शिकार को नीचे गिराने में माहिर होते हैं। वे आम तौर पर बड़े मांसाहारी के शिकार की तुलना में अपेक्षाकृत छोटे शिकार को पसंद करते हैं। तीन दिसंबर को मादा चीतों में आशा ने सबसे पहले एक चीतल का शिकार किया था। आशा का नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। कूनो में आशा शिकार करने वाली पहली मादा चीता है।
इन तीनों ने नहीं शुरू किया है शिकार
वहीं, नर चीते कूनो में लगातार शिकार कर रहे हैं। पांच मादा चीतों को भी बड़े बाड़े में छोड़ा गया है। उनमें से दो ने शिकार किया है। शेष तीन मादा चीते साशा, सवाना और सियाया ने अभी तक शिकार शुरू नहीं किया है। इन तीनों को सबसे आखिरी में बाड़े में छोड़ा गया है। इसलिए जल्द ही ये तीनों भी शिकार कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है है कि अब तक, किसी भी चीते के साथ कोई वास्तविक चुनौती नहीं रही है। चीता प्रोजेक्ट के एक विशेषज्ञ ने कहा कि सभी स्वस्थ हैं और खा रहे हैं। सामान्य चीतों की तरह ही इनका व्यवहार है।
सफल हो रहा चीता प्रोजेक्ट
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय टीमों के बीच सहयोग ने अब तक उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं। चीता प्रोजेक्ट के विशेषज्ञों का कूनो के कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करना, नामबिया से आए चीतों को जल्दी बसने में मदद की। बड़े बाड़े में छोड़े जाने के बाद जल्द ही शिकार शुरू कर दिया। सीसीएफ के निदेशक डॉ लॉरी मार्कर ने कहा कि हैप्पी इंटरनेशनल चीता डे, भारत! हम इस देश में नामीबिया की बिल्लियों की प्रगति से बहुत खुश हैं और हम भविष्य में कई और आईसीडी का जश्न मनाने के लिए तत्पर हैं।