नई दिल्ली
दिल्ली एमसीडी पर किसका कब्जा होगा इसकी असली तस्वीर साफ होने में कुछ ही घंटों का वक्त बाकी है। 7 दिसंबर यानी कल वोटों की गिनती होगी इसके पहले एग्जिट पोल के जो नतीजे सामने आए हैं उसमें आम आदमी पार्टी शानदार जीत दर्ज कर रही है। बीजेपी का 15 साल से एमसीडी पर कब्जा है और उसका यह सफर यहीं थमता नजर आ रहा है। एग्जिट पोल के जो नतीजे सामने आए हैं उसके हिसाब से आम आदमी पार्टी दिल्ली के अधिकांश वार्ड पर जीत दर्ज करती हुई दिख रही है। एग्जिट पोल के नतीजे सामने आते ही दिल्ली में अगला मेयर कौन होगा इसको लेकर कई नामों की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि नतीजों से पहले यह जानना भी जरूरी है कि आखिर मेयर का चुनाव कैसे होता है और कार्यकाल कितने वर्ष का होता है।
5 साल के लिए नहीं होता मेयर का चुनाव
राजधानी दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर नहीं होता है। चुनाव जीतकर आए पार्षद ही मेयर चुनते हैं। एमसीडी में जो पार्टी भी जीत कर आएगी उसका कार्यकाल 5 साल के लिए होगा। पार्टी का कार्यकाल 5 साल के लिए होगा लेकिन एक ही व्यक्ति 5 साल तक मेयर रहे ऐसा नहीं होगा। दिल्ली में महापौर या मेयर का कार्यकाल एक साल के लिए होता है। दिल्ली एमसीडी जो पहले थी 3 थी अब एक है। एमसीडी में हर साल पार्षद मेयर का चुनाव करते हैं।
मेयर के लिए पहला साल महिला पार्षद के लिए आरक्षित
5 वर्षों में पहला साल मेयर के लिए महिला पार्षद के लिए आरक्षित है। पहला साल महिला के लिए तो वहीं तीसरा वर्ष अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित है। बाकी 3 साल मेयर का पद अनारक्षित होता है। दिल्ली नगर निगम एक्ट के हिसाब से हर साल अप्रैल में पहली बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होता है। सदन की पहली बैठक के बाद मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है। पहले नामांकन और उसके बाद पार्षद मेयर का चुनाव करते हैं।
AAP की ओर से मेयर की रेस में ये नाम आगे
एग्जिट पोल में दिल्ली के 250 वॉर्ड में से अधिकांश पर आप की जीत बताई जा रही है। एग्जिट पोल के नतीजे सामने आते ही आम आदमी पार्टी के भीतर अगला मेयर कौन होगा इसको लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं। पहले साल में महिला मेयर के तौर पर आप के भीतर महिला इकाई की प्रदेश संयोजक निर्मला देवी, दिल्ली महिला आयोग की सदस्य रहीं प्रोमिला गुप्ता और पार्टी की एक और नेता कैप्टन शालिनी सिंह के नाम की चर्चा शुरू है। इसके अलावा कुछ और नाम भी सामने आ रहे हैं लेकिन कौन जीतकर आता है उसके बाद ही असली तस्वीर साफ होगी।
7 दिसंबर को एमसीडी के असली नतीजे
दिल्ली नगर निगम (MCD) के सभी 250 वार्ड के लिए चार दिसंबर को हुए चुनाव में 50.48 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP ) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच है। एग्जिट पोल के नतीजों के हिसाब से एमसीडी में भी केजरीवाल। हालांकि बीजेपी की ओर से भी जीत का भरोसा जताया गया है और पार्टी के नेताओं का कहना है कि नतीजे एग्जिट पोल से अलग होंगे। वर्ष 2017 के नगर निगम चुनाव में भाजपा ने 270 वार्ड में से 181 पर जीत हासिल की थी। 7 दिसंबर को असली नतीजे भी सामने आ जाएंगे।
दिल्ली की पहली मेयर अरुणा आसफ अली
एमसीडी के इतिहास को देखा जाए तो करीब 64 साल पहले चांदनी चौक स्थित ऐतिहासिक टाउनहॉल से इसकी शुरुआत होती है। 150 साल से अधिक पुराना टाउन हॉल नगर निकाय की सत्ता का केंद्र हुआ करता था। एमसीडी की पहली मेयर स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली थीं। एमसीडी का गठन संसद द्वारा पारित दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के तहत किया गया। एमसीडी को ‘बॉम्बे नगर निगम’ की तर्ज पर गठित करने का फैसला लिया गया था।