आगरा
उत्तर प्रदेश के आगरा में नगर निकाय से लेकर विधानसभा और संसद की सत्ता पर काजिब होने की माननीयों में होड़ है। वे किसी भी मौके को गंवाना नहीं चाहते हैं। शायद यही वजह है कि आगरा में सुरक्षित महिला सीट के लिए भी दावेदारों की लाइन लगी है। इन दावेदारों की फेहरिस्त में केंद्रीय मंत्री से लेकर पूर्व मंत्री, विधायक, सांसद तक शामिल हैं। सत्ताधीश लोगों ने अपनी टिकट पक्की करने के लिए पार्टी के शीर्ष स्तर के नेताओं और संघ के पदाधिकारियों तक परिक्रमा करनी शुरू कर दी है।
आगरा की महापौर की सीट पर बीजेपी का दबदबा है। वर्ष 1989 से 2017 के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी है। प्रचंड बहुमत से सत्ता में काबिज बीजेपी के सितारे इस बार भी बुलंद हैं। नगर निकाय के चुनाव जनवरी में प्रस्तावित हैं। आगरा में तीसरी बार एससी महिला सुरक्षित सीट हुई है। इससे पूर्व 1995 में बेबीरानी मौर्य और 2006 में अंजुला सिंह माहौर महापौर रह चुकी हैं। आगरा में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, सांसद रामशंकर कठेरिया समेत कई पूर्व विधायक अपनी बेटी, बहु और पत्नियों के लिए टिकट की रस्साकसी में लगे हैं।
तीसरी बार एससी की महिला बनेगी मेयर
आगरा में 1989 ने नगर निगम के चुनाव हुए हैं। सबसे पहले 1989 में रमेशकांत लवानियां महापौर बने थे। इसके बाद 1995 में पहली बार एससी महिला सीट पर बेबीरानी मौर्य को बीजेपी ने टिकट दिया और वे महापौर बनीं। 2000 में अनु. जाति सुरक्षित पर किशोरी लाल माहौर, वर्ष 2006 में अंजुला सिंह माहौर, 2012 में सुरक्षित सीट से इंद्रजीत आर्य और 2017 में सामान्य सीट पर नवीन जैन महापौर चुने गए थे। 2022 के आरक्षण में तीसरी बार एससी महिला सीट घोषित की गई है।
सोशल मीडिया में हो रहे चर्चे
अपनेआप को लाइमलाइट में रखने के लिए सोशल मीडिया एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। नेताओं ने अपनी बहुओं को सोशल मीडिया पर एक्टिव कर दिया है। आरक्षण सूची आने के बाद वे महिलाएं जिन्होंने कभी राजनीति की पाठशाला का इकहरा भी नहीं पढ़ा वे अब समाजसेवा के लिए अपने व्याख्यान दे रही हैं, लेकिन बीजेपी परिवारवाद की राजनीति के विरोध में रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में परिवारवाद की राजनीति का विरोध किया है।