नई दिल्ली,
दिल्ली के एमसीडी चुनावों में जीत आम आदमी पार्टी की हुई, लेकिन दावा बीजेपी ने कर दिया कि मेयर उसका बनेगा. मेयर बनने के इस दावे के पीछे कई सारी वजह हैं. दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे वोटर नहीं करते हैं बल्कि कई सारे चुने हुए प्रतिनिधियों को मेयर चुनने का अधिकार होता है. इन प्रतिनिधियों में जो लोग नए पार्षद के तौर पर चुनकर आए हैं वो तो होंगे ही, इनके साथ ही एक पूरा गुट होगा जो दिल्ली के प्रथम नागरिक यानी मेयर को चुनेगा.
इस बात की जानकारी कम ही लोगों को है कि दिल्ली में चुने हुए पार्षदों के अलावा कई और सदस्य होते हैं जिनका मनोनयन एमसीडी हाउस के लिए होता है. बीजेपी में एमसीडी के सबसे सीनियर नेताओं में से एक और पूर्व नेता सदन सुभाष आर्या बताते हैं कि दिल्ली में पार्षदों के अलावा हर साल 14 विधायकों को भी एमसीडी सदन के लिए मनोनयन किया जाता है. हर साल ये विधायक बदल जाते हैं. संख्या बल के हिसाब से इस समय 14 में से 12 या 13 मनोनीत विधायक आम आदमी पार्टी के होंगे जबकि एक या दो विधायक बीजेपी के. इसके अलावा दिल्ली के सातों लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसद भी मनोनीत सदस्य होते हैं. इन सबको मेयर चुनाव में वोटिंग का अधिकार होता है. इस हिसाब से कुल 24 सांसदों और विधायकों में 15 या 16 आप के होंगे जबकि 8 या 9 बीजेपी के. इस हिसाब से देखें तो भी पहले से ही बहुमत वाली आम आदमी पार्टी का पलड़ा यहां भी भारी दिखाई पड़ता है.
मनोनीत पार्षदों को लेकर जारी है कंफ्यूजन
साल 2015 से पहले तक दिल्ली के मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं होता था. इन मनोनीत पार्षदों को एल्डरमैन कहा जाता है. जब एमसीडी तीन हिस्सों में बंटी तो हर एमसीडी में 10-10 एल्डर मैन मनोनीत किए गए, लेकिन वो किसी भी चुनाव में वोट नहीं कर सकते थे ना ही किसी पद पर चुने जा सकते थे. कभी कांग्रेस नेता और एल्डरमैन रहीं ओनिका मल्होत्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक केस फाइल किया.
एल्डरमैन के पास मेयर के लिए वोटिंग का अधिकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2015 को फैसला सुनाकर इन एल्डरमैन को वार्ड कमेटी के चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिया. ओनिका मल्होत्रा बताती हैं कि हमारे पास तब तक वोटिंग का अधिकार नहीं होता था. हमने कोर्ट जाने का फैसला लिया और वहां से हमें वोटिंग का अधिकार मिला और ये भी अधिकार मिला कि हम चुनाव लड़कर स्टैंडिंग कमेटी का डिप्टी चेयरपर्सन तक बन सकते हैं, लेकिन कई नेता बताते हैं कि अभी तक इस बात पर स्थिति साफ नहीं है कि दोबारा एकीकृत किए एमसीडी में कितने मनोनीत एल्डरमैन होंगे. इसके लिए केंद्र सरकार के पास अब नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है जिसके बाद चुनाव आयोग से मिलकर दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर एमसीडी में मनोनीत सदस्यों को नोटिफाई करेंगे.
एमसीडी में अब कितने होंगे एल्डरमैन?
इसके साथ ही इस बात को लेकर भी स्थिति साफ नहीं कि जिन एल्डरमैन को दिल्ली हाई कोर्ट ने वार्ड कमेटी में वोटिंग का अधिकार दिया क्या उन्हें मेयर के चुनाव में वोटिंग अधिकार मिल सकता है. आने वाले दिनों में केंद्र सरकार की तरफ से एल्डरमैन को लेकर असमंजस दूर होगा या नहीं इसको लेकर चर्चाएं तो हैं लेकिन मेयर का चुनाव तो अगले कुछ दिनों में एमसीडी गठन के बाद होगा ही. अभी तक हर एमसीडी में 10-10 एल्डरमैन होते थे तो क्या एकीकृत एमसीडी में भी दस ही एल्डरमैन होंगे या फिर तीस इसको लेकर भी कंफ्यूजन बरकरार है.
सीक्रेट वोटिंग के जरिए होता है मेयर का चुनाव
मेयर के चुनाव के लिए अलग से नामांकन किया जाता है. उसमें कोई भी पार्षद नामांकन कर सकता है. वोटिंग के दिन सीक्रेट बैलट के जरिए गुप्त मतदान करवाया जाता है. पर्ची पर मेयर को लेकर सही का निशान ये फिर स्टांप लगाना होता है. प्रक्रिया को तय करने की जिम्मेवारी उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत पीठासीन अधिकारी की होती है. कोई भी पार्षद अपनी मर्जी से किसी भी उम्मीदवार को वोट दे सकता है और उस पर दल-बदल कानून लागू नहीं होता क्योंकि गुप्त मतदान में किसने किसको वोट किया ये पता नहीं लगाया जा सकता. Live TV