लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव में हो रही देरी को देखते हुए निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। नगर निकायों में चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने प्रदेश के सभी डीएम को पत्र लिखकर इस संबंध में आदेश दिए हैं। नगर निकाय चुनाव समय पर नहीं होने के कारण प्रशासकों की नियुक्ति का फैसला लिया गया। इससे पहले बिहार और दिल्ली के नगर निकायों में लिया जा चुका है। अब इसी प्रकार की व्यवस्था उत्तर प्रदेश के नगर निकायों में भी लागू होगी। नगर निकाय चुनाव लगातार चल रहे हैं। अभी तक चुनाव तिथि का ऐलान नहीं हो पाया है। मामला हाईकोर्ट में लंबित है। बुधवार को भी मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में होनी है। इससे पहले नगर विकास विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर तमाम डीएम को निर्देश जारी किया गया है। जिले के नगर निकायों में तत्कालिक प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति होगी।
नगर निकाय चुनाव 2017 के बाद यूपी के नगर निकायों में 12 दिसंबर 2017 को चुने हुए प्रतिनिधियों को शपथ दिलाई गई थी। इसके आधार पर नगर सरकार का गठन किया गया था। 5 साल का कार्यकाल 12 दिसंबर 2022 को पूरा हो गया। इस समय तक सभी नगर निकायों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी करा लिए जाने की तैयारी की जा रही थी। हालांकि सरकार की ओर से तैयारियों को समय पर पूरा कराने में सफलता नहीं मिल पाई। पिछले दिनों नगर विकास विभाग की ओर से नगर निकायों के आरक्षण का रोस्टर जारी किया गया। आरक्षण रोस्टर में ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने का मामला उठाया गया। इस पूरे मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई की जा रही है। मंगलवार को भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। बुधवार को इस मामले में सुनवाई होगी। ऐसे में नगर निकाय में जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कामकाज को सुचारू रूप से चलाएं रखने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति का निर्णय सरकार के स्तर पर लिया गया है।
हाई कोर्ट के आदेश के तहत जारी हुई अधिसूचना
सरकार की और से संदीप उर्फ संदीप मल्होत्रा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य तथा अन्य संबंधित रिट याचिकाओं पर 5 दिसंबर 2011 को नए बोर्ड के गठन के संबंध में जारी किया गया है। पूर्व के जारी आदेश को एक बार फिर लागू करने का निर्णय लिया गया है। नगर विकास विभाग की ओर से जिला अधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि निकायों की कार्य अवधि की गणना उसके गठन के बाद शपथ ग्रहण की तिथि के बाद आयोजित की गई पहली बैठक की तिथि से की जाएगी। निकायों की कार्यअवधि खत्म होने के बाद नगर आयुक्त, नगर निगम एवं अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत को निकायों के कार्य संचालन का दायित्व सौंपने का आदेश दिया गया है।
आदेश में कहा गया है कि निकाय की कार्यकारिणी समिति बहुमत के आधार पर नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारियों को परामर्श दे सकेगी। यह समिति नागरिकों के लिए दी जाने वाली नागरिक सुविधाओं का इंस्पेक्शन भी कर सकेगी। ऐसा करने के लिए कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को कोई पारिश्रमिक, मानदेय या भत्ता नहीं दिया जाएगा। नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के संबंध में कार्यकारिणी समिति का अर्थ निकाय बोर्ड से होगा।
राशि के निष्कासन को लेकर भी जारी किया गया आदेश
नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में खाता का संचालन अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से होता है। नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतों में अध्यक्ष न रहने पर खातों के संचालन में कठिनाई को देखते हुए भी फैसला किया गया है। नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में खातों का संचालन अधिशासी अधिकारी के अलावा वहां के लेखा विभाग में कार्यरत यूपी पालिका सेंट्रलाइज सेवा के लेखा संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारी को संयुक्त हस्ताक्षर के लिए अधिकृत कर दिया जाएगा। यहां केंद्रीयित सेवा का कर्मचारी तैनात न हो, वहां लेखा का कार्य देख रहे कार्मिक को उसके लिए अधिकृत किया जा सकता है। यह कार्मिक अधिशासी अधिकारी की ओर से नामित किया जा सकता है। पैसे की निकासी को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।