पटना
आरजेडी के मुख्य रणनीतिकार सियासत में हमेशा फील्डिंग सजाने वाले जगदानंद सिंह अब बैटिंग करने महागठबंधन की पिच पर उतर गए हैं। फील्डिंग सजाने में माहिर जगदानंद सिंह बैटिंग क्या करने उतरे राजनीतिक गलियारों में उनके बदले स्वरूप को लेकर कई सवाल उठ खड़े होने लगे हैं। कहा जा रहा है राजनीति के अंतिम पाली खेल रहे जगदानंद सिंह का झलकता नीतीश प्रेम के कई मायने हैं। एक तो यह महागठबंधन की राजनीत में नीतीश कुमार के हर मूव को समझना साथ ही महागठबंधन की राजनीति में सुधाकर सिंह का पुराना रुतबा हासिल करना।
और इस तरह झलका नीतीश प्रेम
कई प्रसंगों में नीतीश कुमार के आलोचक रहे जगदानंद सिंह का प्यार अचानक नीतीश कुमार पर बरसने लगा है। हुआ यूं कि अपने बयानों के कारण जगदानंद सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। वजह बने हैं नीतीश कुमार। अचानक से आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर यह कह दिया कि बिहार के लोग चाहते हैं कि नीतीश कुमार देश के प्रधानमंत्री बनें। इसके लिए हम पूरी ताकत लगा रहे हैं। गुजरात के लोग जैसे नरेंद मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे उसी तरह बिहारी के लोग भी नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। वैसे भी नीतीश कुमार में सारी काबिलियत मौजूद हैं। जगदानंद सिंह ने कहा गुजरात के पास लोकसभा में 10 से 15 सीट ही है, लेकिन बिहार के पास 40 सीट है तो हमारे राज्य का व्यक्ति प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता।
क्या है इस बयान के मामले?
राजनीति में कभी दोस्त रहे जगदानंद सिंह उस नीतीश कुमार के विरोधी हो गए थे जो बीजेपी से गंठबंधन कर एनडीए की राजनीति करने लगे। जबकि एक समय ऐसा था जब बांध टूटने के कारण जगताबाबु जब मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए अड़े थे तो नीतीश कुमार ने ही इस समस्या को सुलझाया था। और एक समय जब लालू प्रसाद की राजनीति से दामन छुड़ा कर समता पार्टी का निर्माण किया था तब यह कहा जा रहा था कि जागता बाबू भी समता में आ जाएंगे।। लेकिन जगदानंद सिंह लालू प्रसाद के साथ ही बने रहे। और यही से जागता बाबू और लालू प्रसाद का एक दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ा। इसके बाद से नीतीश कुमार और जगता बाबू के बीच की दूरी बढ़ने लगी। और यह इतनी बड़ी कि मामला उनके बेटे सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
क्या चाहते होंगे जगदा बाबू ?
जिस तरह से 2 अक्टूबर 2022 को पुत्र सुधाकर सिंह को लेकर जो पीड़ा व्यक्त की थी। उस हिसाब से बेटे की ससम्मन वापसी चाहते होंगे। यह तभी संभव है जब नीतीश कुमार पीएम बनने के संघर्ष हेतु सीएम की कुर्सी छोड़ तेजस्वी को सीएम बनाएं या नीतीश कुमार अपनी नाराजगी सुधाकर सिंह के प्रति दूर करें। राजनीतिक हलकों में इस बयान का यह निहितार्थ निकाला जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस कटुता को दूर करने के लिए सुधाकर सिंह जो कृषि सुधार हेतु जो प्राइवेट मेंबर बिल लाना चाहते हैं उसे न लाएं या फिर आरजेडी की तरफ से संशोधित बिल लाया जाए जिसे सदन में पेश किया जा सके।वैसे राजनीति में न कोई सदैव के लिए दोस्त होता है न दुश्मन। जगदा बाबू का बयान महागठबंधन की राजनीत में क्या गुल खिलाता है, इसे जानने को कुछ इंतजार अभी शेष है।