कॉलेजियम विवाद के बीच मोदी सरकार ने दिया सुप्रीम कोर्ट के साथ हाईकोर्ट्स के पेडिंग केसों का ब्योरा

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिशों पर विवाद के बीच मोदी सरकार ने पेडिंग केसों का ब्योरा दिया है। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 500 से ज्यादा संवैधानिक मसलों से जुड़ी याचिकाओं के साथ इतनी ही चुनावों से जुड़ी याचिकाएं लंबित हैं। 2014 के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेंडेंसी कुछ कम हुई है। लेकिन हाईकोर्ट्स का बुरा हाल है। वहां इस दौरान लंबित केसों की संख्या में इजाफा हुआ है।

मिनिस्ट्री ऑफ लॉ ने एक डाटा जारी करके सारी स्थिति को बयान किया है। इस रिपोर्ट की टाईमिंग काफी अहम है क्योंकि फिलहाल सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच सिर फुटौव्वल की स्थिति बन रही है। बीते दिन कानून मंत्री ने संसद में कहा था कि सरकार केवल इस वजह से फिक्रमंद है क्योंकि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ से ऊपर जा पहुंची है। संविधान सरकार को अधिकार देता है कि वो कोर्ट्स की भर्तियों पर नजर रखे। ये स्थिति 1993 के बाद बदली है।

सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में सुप्रीम कोर्ट में 6978 मामले लंबित थे। हालांकि 2014 की तुलना में देखा जाए तो लंबित मामलों की दर में .65 फीसदी की कमी आई है। हाईकोर्ट्स में 2014 की तुलना में स्थिति खराब हुई है। वहां 0.82 फीसदी की साथ 5351284 केस लंबित हैं। जिलों की बात की जाए तो आंकड़ा हैरत में डालने वाला है। वहां 42826777 मामले पेंडिंग हैं। 2014 की तुलना में ये आंकड़ा 4.62 फीसदी बढ़ा है।

इससे पहले सीजेआई ने आज कानून मंत्री पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सर्दी की छुट्टियों में कोई भी बेंच काम नहीं करेगी। हालांकि शाम को खबर आई कि रजिस्ट्री के पास मामले दर्ज कराए जा सकते हैं। लेकिन अभी तक वैकेशन बेंच का कोई गठन नहीं किया गया है। ध्यान रहे कि ग्रीष्म अवकाश के दौरान सुप्रीम कोर्ट वेकेशन बेंच का गठन करता है जो गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए उपलब्ध होती है। लेकिन सीजेआई ने साफ कर दिया कि 2 जनवरी 2023 तक कोई भी बेंच काम नहीं करेगी।

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