गुजरात में विधानसभा चुनाव 2027 का रोडमैप बनाने में जुटी AAP, MLA’s के साथ केजरीवाल ने की बैठक

नई दिल्ली

गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने बहुत हाई वोल्टेज अभियान चलाने के बावजूद 182 सीटों में से महज 5 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। गुजरात चुनाव परिणाम के बाद आम आदमी पार्टी को गुजरात में अपनी स्थिति का आभास हुआ और अब आम आदमी पार्टी साल 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करने में जुट गई है।

गुजरात में BJP ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की
वहीं आम आदमी पार्टी को इस बात का भी अंदेशा है कि गुजरात में उसके नए चुने हुए विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 156 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया है। गुजरात चुनाव में परिणाम आने के बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी छवि के संभावित नुकसान को रोकने के लिए अगले महीने से राज्य संगठन की कार्य योजना तैयार करने के संकेत दिए हैं। गुजरात आप के सोशल मीडिया अकाउंट ने सूरत में पार्टी के कामों के प्रदर्शन को शुरू कर दिया है। साल 2021 में आम आदमी पार्टी ने सूरत नगर निगम चुनाव में बड़ी संख्या में सीटें जीती थीं।

चुनाव के बाद हुई पहली बैठक
गुजरात आप के महासचिव मनोज सोरठिया ने कहा यह एक समन्वय बैठक थी, जो चुनाव के बाद पहली बार हुई थी। गुजरात विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे सभी उम्मीदवार गुजरात इकाई के नेताओं के साथ पार्टी की अगली कार्रवाई और रोडमैप पर चर्चा करने के लिए उपस्थित थे। चुनावों में हुई गलतियों (जो हमने की) उन बातों पर चर्चा की गई और साथ ही आगामी चुनावों के लिए ब्लूप्रिंट पर भी चर्चा की गई। प्रत्येक उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मुद्दों या कमियों और संभावित समाधानों का विश्लेषण और रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था।

गोपाल इटालिया और ईशुदान गढ़वी भी उस बैठक में शामिल हुए जो केजरीवाल ने दिल्ली में पांच विधायकों के साथ की थी। बैठक अगले पांच वर्षों के लिए गुजरात में पार्टी के कामकाज के रोडमैप को तय करने के लिए थी, जो 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अग्रणी थी। पार्टी इन पांच वर्षों में गुजरात में होने वाले सभी चुनाव लड़ेगी, और निश्चित रूप से 2024 में लोकसभा चुनाव। हमारे प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट कार्ड बनाया गया और 13 दिसंबर को अहमदाबाद में हुई बैठक के आधार पर चर्चा की गई। हमने महसूस किया कि पार्टी की सबसे बड़ी कमियों में से एक यह है कि यह बीजेपी की तरह जमीनी स्तर पर मजबूत नहीं है। हम जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर ध्यान देंगे।

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