चीन क्यों कर रहा है एलएसी पर हिमाकत? पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने बताई असली वजह

नई दिल्ली

अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पास तवांग सेक्टर में चीन की हिमाकत ने भारत की त्यौरियां चढ़ा दी। वहीं, इस मामले में राजनीतिक नेतृत्व की तुरन्त सक्रियता से भारतीय सेना ने अत्यंत साहस दिखाते हुए चीनी सैनिकों को बुरी तरह पछाड़ते हुए खदेड़ दिया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है। लेकिन सवाल उठता है कि चीन ने बिना किसी उकसाहट, बैठे-बिठाये तवांग सेक्टर में ये सब क्यों किया। आखिर चीन का मकसद क्या था ? इस मसले पर भारत-चीन और कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ तथा भारत के पूर्व विदेशमंत्री के. नटवर सिंह से इस मसले पर नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के सीनियर जर्नलिस्ट नरेश तनेजा ने बातचीत की।

चीन को पता लगा भारतीय सेना कमजोर नहीं है
चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कहा कि आज से 60 बरस से तवांग चाइना का हिस्सा है लेकिन वह है हिंदुस्तान का हिस्सा है। चीन को जब मौका मिलता है वह आ जाता है। इस बार वह मार खा गए। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि लोग कहते हैं कि उनको लात मार दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसे ऐसे कह सकते हैं कि हमने उन्हें हरा दिया। इस तरह तवांग में चीन क्यों आगे बढ़ा, इस सवाल के जवाब में नटवर सिंह ने कहा कि वह इस तरह से पंगा लेते रहेंगे। इसकी वजह है कि वह अरुणाचल को हिंदुस्तान का हिस्सा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर से असम तक पूरा बॉर्डर को वह नहीं मानते हैं। नटवर सिंह ने कहा कि तवांग के बाद चीन को यह पता लग गया है कि भारतीय सेना कमजोर नहीं है।

डोकलाम में भी भारत ने दिखाया था दम
एलएसी पर भारत की मौजूदा तैयारी को लेकर सवाल के जवाब में पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि पहले तो कुछ हुआ इस तरह का हुआ ही नहीं था। अब तो पहले कश्मीर, लद्दाख, इससे पहले डोकलाम में भी भारतीय सैनिकों ने मजबूती दिखाई थी। डोकलाम में भारतीय सेना 70 दिन तक डटी रही थी। ऐसे में पहले वहां से चीन को ही पीछे हटना पड़ा। नटवर सिंह ने कहा कि चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत एक मजबूत देश बने। उन्होंने कहा कि चीन की एक पॉलिसी है। नटवर सिंह ने सुरक्षा परिषद् को लेकर चीन के वीटो की बात कही। उन्होंने कहा कि चीन कभी भी भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्यता के पक्ष में नहीं रहेगा। नटवर सिंह ने कहा कि 1962 और आज की तैयारियों में जमीन और आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि 1962 के समय तो कोई तैयारी ही नहीं थी। नटवर सिंह ने उस समय सेना की तैयारियों से लेकर साजोसामान की कमी का भी जिक्र किया।

पंडित नेहरू ने की थी बड़ी गलती
चीन के साथ रिश्तों के अतीत में झांकते हुए नटवर सिंह ने कहा कि पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ने बहुत बड़ी गलती की थी। सीमा पर तैयारियों को लेकर उन्होंने कहा कि मोदी जी कमजोर आदमी नहीं है। वह इसको लेकर काफी दृढ़ हैं। दिन प्रतिदिन हमारी तीनों सेनाएं मजबूत होती जा रही है। उन्होंने कहा की सीमा पर सड़कों का निर्माण हो रहा है उससे देश को बहुत फायदा मिलने वाला है। एलएसी पर स्थिति को मजबूत करने को लेकर नटवर सिंह ने कहा कि हमारी सैन्य प्राथमिकता है उसमें चीन पहले है। नटवर सिंह ने कहा कि हमारा झगड़ा हुआ तो चीन से होगा पाकिस्तान से नहीं। चीन बहुत मजबूत देश है ऐसे में हमें पूरा जोर लगाना पड़ेगा। नटवर सिंह ने कहा कि तवांग समेत एलएसी में हम फिलहाल पूरी तरह सुरक्षित हैं।

चीन ने की हिमाकत तो अमेरिका खड़ा हो जाएगा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन पर नकेल कसने के लिए उपाय पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यदि चीन पूरी तरह से हमारे खिलाफ लड़ाई में उतरता है तो अमेरिका हमारी मदद के लिए दूसरी तरफ से खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस समय हमें अमेरिका से संबंध बहुत मजबूत है। रूस और यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत के विदेश मंत्री ने इस मामल में देश का पक्ष बेहद ही संतुलित ढंग से रखा दिया है और अमेरिका को समझा दिया है। देश में चीन के साथ सीमा विवाद पर आलोचना को लेकर उन्होंने कौन कर रहा है और जो बोल रहे हैं उनकी औकात क्या है। उन्होंने कहा कि विदेश नीति बेहद ही नाजुक चीज है। इन मुद्दों पर बेहद ही संभाल कर बोलना चाहिए।

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