डंके की चोट पर LAC पर निर्माण कार्य… शिलांग की सभा में गरजे पीएम नरेंद्र मोदी

शिलांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पूर्वोत्तर के दौरे पर हैं। पीएम मोदी ने मेघालय में कहा कि उनकी सरकार ने आठ साल के कार्यकाल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की राह में आई सभी बाधाओं को दूर कर दिया है। आज डंके की चोट पर बॉर्डर पर निर्माण क‍िया जा है। नई सड़कें, टनल, पुल, रेल लाइन और जो भी जरूरी है उन सबका निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है। पीएम मोदी ने कहा क‍ि जो गांव कभी वीरान हुआ करते थे। आज हम उन्हें ‘वाइब्रेंट विलेज’ बना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा क‍ि जो रफ्तार हमारे शहरों के लिए जरूरी है वही हमारे बॉर्डर पर भी होनी जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पूर्वोत्तर परिषद (NEC) की स्वर्ण जयंती के मौके पर एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट हमारे बॉर्डर एरिया, आखिरी छोर नहीं बल्कि सुरक्षा और समृद्धि के गेटवे हैं। राष्ट्र की सुरक्षा भी यहीं से सुनिश्चित होती है और दूसरे देशों से व्यापार भी यहीं से होता है। PM मोदी ने कहा क‍ि डिजिटल कनेक्टिविटी से सिर्फ बातचीत, संवाद ही बेहतर नहीं होता। बल्कि इससे टूरिज्म से लेकर टेक्नॉलॉजी तक, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक, हर क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ती हैं, अवसर बढ़ते हैं। मोदी ने कहा क‍ि खेलों को लेकर केंद्र सरकार आज एक नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रही है। इसका लाभ नॉर्थ ईस्ट के युवाओं को हुआ है। देश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी नॉर्थ ईस्ट में है।

PM मोदी ने कहा क‍ि फुटबॉल में अगर कोई खिलाड़ी खेल भावना से नहीं खेलता तो उसे रेड कार्ड दिखाकर बाहर कर दिया जाता है। ऐसे ही पिछले 8 वर्षों में हमने नॉर्थ ईस्ट के विकास के रास्ते में अनेक रुकावटों को रेड कार्ड दिखा दिया। उन्‍होंने कहा क‍ि क्षेत्र में प्रदान की गई बेहतर हवाई सेवाओं से कृषि उत्पाद के निर्यात में मदद मिल रही है जिससे किसानों को फायदा पहुंच रहा है। कतर में फीफा विश्व कप के फाइनल मुकाबले से पहले मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास की राह में आयी कई बाधाओं को ‘रेड कार्ड’ दिखाया है।

प्रधानमंत्री ने अपने 26 मिनट के भाषण में कहा क‍ि भ्रष्टाचार, भेदभाव, हिंसा और वोटबैंक की राजनीति जैसी बाधाओं को हटाया गया। मोदी ने कहा क‍ि पहले पूर्वोत्तर को बांटने के प्रयास किए गए लेकिन अब हम इस तरह के प्रयासों को रोक रहे हैं। उन्होंने कई परियोजनाओं का उद्घाटन और उनकी नींव भी रखी। जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें ‘न्यू शिलांग टाउनशिप’ में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-शिलांग भी शामिल है।

आज सुबह यहां पहुंचे प्रधानमंत्री पहले ‘स्टेट कन्वेंशन सेंटर’ में एनईसी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों और गणमान्य लोगों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर पिछले 50 सालों में पूर्वोत्तर के विकास में एनईसी के योगदान संबंधी पुस्तिका ‘गोल्डन फुटप्रिंट्स’ का भी विमोचन किया। एनईसी के 50 साल के सफर पर एक लघु फिल्म भी दिखायी गयी।

मोदी ने क्षेत्र के विकास में एनईसी के योगदान की भी सराहना की। क्षेत्र के आठ राज्यों को ‘अष्ट लक्ष्मी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्वोत्तर के विकास के लिए आठ नींव स्तंभ पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये आठ ‘नींव स्तंभ’ शांति, ऊर्जा, पर्यटन, 5जी कनेक्टिविटी, संस्कृति, प्राकृतिक खेती, खेल और सामर्थ्य है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘पूर्वोत्तर, दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है और यह पूरे क्षेत्र के विकास का केंद्र बन सकता है। क्षेत्र की इस क्षमता का लाभ उठाने के लिए भारत-म्यांमा-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और अगरतला-अखौरा रेल जैसी परियोजनाओं पर काम हो रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, अंतर-राज्यीय सीमा समझौते किए गए और चरमपंथ की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्ष में क्षेत्र में हवाई अड्डों की संख्या नौ से बढ़कर 16 हो गयी है और उड़ानों की संख्या बढ़कर लगभग 1,900 हो गयी है जो 2014 से पहले लगभग 900 थी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के कई राज्य रेलवे के मानचित्र पर आए हैं और जलमार्गों के विस्तार के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

मोदी ने कहा कि क्षेत्र में 2014 के बाद से राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 50 फीसदी तक बढ़ायी गयी है। उन्होंने पनबिजली और पर्यटन क्षेत्रों की संभावना पर भी बात की। एनईसी पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए नोडल एजेंसी हैं। इस क्षेत्र में आठ राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं। पूर्वोत्तर परिषद का गठन संसद के एक कानून के जरिए 1971 में किया गया था। हालांकि, इसका औपचारिक उद्घाटन सात नवंबर, 1972 को किया गया था।

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