मुंबई,
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. इसको लेकर हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों संग बैठक कर समिति बनाने का फैसला किया था. इस बीच बेलगाम शहर में 10 दिवसीय शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. जिसके विरोध में मध्यवर्ती महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमएमईएस) सोमवार को बेलगावी के जिला मुख्यालय तिलकवाड़ी में एक विरोध प्रदर्शन करने जा रही है. जिसमें जिला प्रशासन ने शिंदे गुट की शिवसेना सांसद धैर्यशील माने के प्रवेश पर रोक लगा दी है.
दरअसल, हटकनंगले निर्वाचन क्षेत्र से सांसद धैर्यशील माने ने जिला अधिकारियों को उनके दौरे की व्यवस्था करने के लिए पत्र लिखा था. बेलगावी शहर के पुलिस आयुक्त को लिखे अपने पत्र में माने ने कहा है कि उन्हें Y+ श्रेणी की सुरक्षा के साथ एक पायलट कार और एस्कॉर्ट प्रदान की जानी चाहिए. लेकिन, बेलगावी जिले के उपायुक्त नितेश के पाटिल ने शहर में सांसद की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने का निषेधाज्ञा जारी कर दिया. पाटिल ने कहा कि सांसद एमएमईएस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जहां संभावना है कि वह भड़काऊ भाषण दे सकते हैं, जिससे भाषाई विवाद पैदा होगा और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होगी. यह अंततः सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाएगा.
जिला मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, “कानून और व्यवस्था बनाए रखने और शांति बनाए रखने के लिए मैं नितेश के पाटिल, जिला मजिस्ट्रेट, बेलगावी जिला सीआरपीसी की धारा 144 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह आदेश जारी करता हूं कि महाराष्ट्र के सांसद धैर्यशील माने को बेलगवी जिले की सीमा में प्रवेश से रोकने के लिए कदम उठाए जाएं.”
इस बीच, एक एमएमईएस नेता सूरज कानबारकर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पुलिस ने वैक्सीन डिपो में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दे दी है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, हमें यकीन नहीं है कि महाराष्ट्र के कौन से नेता के यहां कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है, हालांकि हमने सभी महत्वपूर्ण लोगों को निमंत्रण दिया है.’
बता दें कि महाराष्ट्र यह कहते हुए बेलगावी के राज्य में विलय की मांग कर रहा है कि जिले में मराठी आबादी काफी है. महाराष्ट्र एकीकरण समिति, जो पांच दशकों से अधिक समय से इस मुद्दे के लिए लड़ रही थी, अपनी मांग उठाने के लिए अपने सदस्यों को कर्नाटक विधानसभा में भेजने में सफल रही. हालांकि, वर्तमान कर्नाटक विधानसभा में समिति का कोई प्रतिनिधि नहीं है.
वहीं कर्नाटक ने हमेशा कहा है कि सीमा विवाद को महाजन समिति द्वारा सुलझाया गया था और किसी अन्य राज्य को भूमि का कोई टुकड़ा देने का कोई सवाल ही नहीं है. सत्तारूढ़ भाजपा के सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र के राजनीतिक दलों ने हमेशा गतिविधियों को जारी रखने के लिए समिति का समर्थन किया.