बीजिंग/मेलबर्न
चीन और भारतीय सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में झड़प के 10 दिन बीत गए हैं। लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद यह अब तक की सबसे हिंसक झड़प हुई है। ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर खुलासा किया है कि तवांग जिले के यांगत्से पठारी इलाके में भारत ने चीन के ऊपर अपनी रणनीतिक बढ़त बनाई हुई है। यही वजह है कि इस रणनीतिक रूप से बेहद अहम इलाके में भारतीय सेना को मात देने के लिए पिछले 1 साल में चीन ने नए सैन्य और ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बना लिए हैं जिससे वह बहुत तेजी से अपने सैनिकों को अब इस इलाके में जब चाहे भेज सकता है। चीन की सड़क एलएसी से मात्र 150 मीटर तक पहुंच गई है।
आस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने डोकलाम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक इतने बड़े पैमाने पर सैन्य तैयारी की है जिससे दोनों देशों के बीच कभी भी संघर्ष छिड़ सकता है। यह जानबूझकर भी हो सकता है। इंस्टीट्यूट ने कहा कि तवांग रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। चीन भूटान की सीमा में जो भी घुसपैठ कर रहा है, उसे भारत आसानी से तवांग से निगरानी कर सकता है। उसने बताया कि यांगत्से पठार रणनीतिक रूप से दोनों ही देशों के लिए अहम है। यह समुद्र से 5700 मीटर की ऊंचाई पर है। इससे पूरे इलाके पर नजर रखना आसान है। इस पर भारत का कब्जा है जिससे वह सेला दर्रे को चीन से बचाए रखने में सक्षम है। सेला दर्रा ही तवांग को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है।
चीनी गांव एलएसी से मात्र 150 मीटर की दूरी पर
भारत सेला दर्रे के पास एक सुरंग बना रहा है जो साल 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगी। इसके बाद भी यांगत्से पठार से तवांग जाने वाले हर वाहन की निगरानी हो सकेगी। भारतीय सेना यहां ऊंचाई वाले इलाके में जरूर मौजूद है लेकिन जंग के समय में उसकी सप्लाइ लाइन को आसानी से काटा जा सकता है। यहां बनी सड़क भी टूट रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन यांगत्से पठारे में निचले इलाके में जरूर है लेकिन उसने भारत की तुलना में बहुत ज्यादा बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे पर निवेश किया है। पिछले साल चीन ने नई सड़क बनाई है। चीन ने कई सड़कों की मरम्मत की है और उन्हें अपने नए बसाए हुए गांव से जोड़ दिया है। यह चीनी गांव एलएसी से मात्र 150 मीटर की दूरी पर है। यहां तक चीन ने हर मौसम में काम करने वाली सड़क बना ली है।
चीनी सेना ने एलएसी के पास ही कैंप भी बना रखे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नई रोड की मदद से चीनी सैनिक 9 दिसंबर को भारतीय सीमा चौकी पर कब्जा करने के लिए पहुंचे थे। चीनी सैनिकों की तादाद 200 से 600 के बीच थी। इस तरह से चीन ने भारत को मिली रणनीतिक बढ़त को कम करने के लिए अपनी जमीनी सेना को तेजी से तैनात करने की क्षमता हासिल कर ली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक चलने वाली ट्रांसपोर्ट सुविधा और उससे जुड़ी क्षमता की मदद से चीनी सेना ने भारत के खिलाफ ऐसी क्षमता बना ली है जो संघर्ष के दौरान निर्णायक हो सकती है।