नई दिल्ली,
‘बिकिनी किलर’ के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज का नाम आज एक बार फिर खबरों में आ गया. वजह रही चार्ल्स शोभराज की रिहाई. साल 2003 से नेपाल की जेल में बंद चार्ल्स शोभराज की रिहाई के आदेश आज सुप्रीम कोर्ट ने दे दिए. नेपाल सुप्रीम कोर्ट के जज सपना प्रधान मल्ला और तिल प्रसाद श्रेष्ठ की बेंच ने शोभराज को रिहा करने का आदेश दिया. शोभराज ने जेल से रिहा होने के लिए याचिका दायर की थी. उसका कहना था कि वह निर्धारित समय से ज्यादा समय तक जेल में बंद है इसलिए उसे रिहा कर दिया जाए. नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अर्जी स्वीकार कर ली और इसी आधार पर चार्ल्स शोभराज को जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया.
जुर्म की दुनिया में चार्ल्स शोभराज एक जाना माना नाम है. चार्ल्स शोभराज पर नेटफ्लिक्स पर एक डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज हो चुकी है. क्राइम के अलावा चार्ल्स शोभराज कई कारणों से चर्चा में रहा है. वो अपनी चार्मिंग पर्सनेलिटी और डैशिंग लुक के लिए हमेशा ही चर्चा में रहा. वो जेल में रहकर भी बाकी कैदियों से अलग मालूम पड़ जाता है.
कौन है चार्ल्स शोभराज?
वियतनाम मूल के चार्ल्स शोभराज का जन्म 1944 में वियतनाम के Ho Chi Minh शहर में हुआ था. उसकी मां वियतनाम की और पिता भारतीय मूल के थे. चार्ल्स का असली नाम Hatchand Bhaonani Gurumukh Charles Sobhraj है. चार्ल्स की जिंदगी के कुछ साल एशिया और फ्रांस में गुजरे. शोभराज की मां वियतनाम से थी और पिता एक सिंधी हिंदुस्तानी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चार्ल्स के मां-बाप ने शादी नहीं की थी. चार्ल्स की मां वियतनाम में तैनात फ्रांस के एक फौजी लेफ्टिनेंट से मिली. फौजी ने उन दोनों को अपनाया और इस तरह चार्ल्स को फ्रांस की नागरिकता मिली.
चार्ल्स युवावस्था से ही जुर्म की दुनिया में दाखिल हो गया था. साल 1963 में चोरी के जुर्म में शोभराज को पहली बार जेल की हवा खानी पड़ी. पहली बार वो फ्रांस के पोईसी जेल में गया था. फ्रांस का पोईसी जेल पेरिस शहर से दूर एक एकांत जगह पर था. खूंखार कैदियों के बीच चार्ल्स अपना बचाव कराटे की तकनीक के सहारे करता था. शोभराज इस जेल में चुपचाप रहता था और इशारों में चीजें मांगा करता था. जेल से छूटने के बाद चार्ल्स पेरिस की हाई-क्लास सोसायटी में लोगों को अपने जाल में फंसाने लगा.
चार्ल्स शोभराज की भारत आने की कहानी
चार्ल्स फ्रांस की जेल से तो बाहर आ गया था लेकिन वो बाहर निकलने के बाद भी जुर्म की दुनिया में एक्टिव रहा. फ्रांस में रहते हुए उसने कई घोटाले किए और काफी सारे पैसा इकट्ठे कर लिए. इसके बाद वो यूरोप छोड़कर इस्तांबुल फिर भारत आ गया था. इस बीच चार्ल्स सेंटाल नाम की महिला से शादी भी कर चुका था. शादी के बाद दोनों मिलकर पर्यटकों को लूटते और उनके पासपोर्ट्स पर दुनिया घूमते. Chantal ने मुंबई में रहते हुए अपने पहले बच्चे को जन्म दिया. बेटी ऊषा के जन्म के बाद चार्ल्स के अपराध काफी बढ़ गए. वह जेल से भाग निकलने में भी महारत हासिल कर चुका था.
1970 के दौर में चार्ल्स ने भारत में अपने पैर पसारने शुरू किए. चार्ल्स ने चोरी की गई कारों की दलाली करनी शुरू कर दी. वो रईस भारतीयों (जो विदेशी कारों के रखने के शौकीन थे) को ये कारें बेचता था. वो पाकिस्तान और ईरान से कारों की चोरी करता और भारत में बॉर्डर के रास्ते लाता था. वो भारत में एक ‘फ्रेंच सोसाइटी’ से जुड़ गया और वहां पहुंचकर रसूखदार लोगों से मेलजोल बढ़ाता था. इन्हीं लोगों के साथ चार्ल्स जुआ भी खेलता था. लेकिन जुए में चार्ल्स ने सब कुछ गंवा दिया. इसके बाद चार्ल्स ने दिल्ली के अशोका होटल की छत पर एक लूट को अंजाम दिया. इस लूट के बाद वो दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट जा रहा था लेकिन कस्टम विभाग को उस पर शक हो गया और उसका लूट का बैग जब्त कर लिया गया. चार्ल्स वहां से भाग निकला लेकिन जल्द ही उसे पकड़ कर तिहाड़ जेल में डाला गया.