नई दिल्ली,
रूस और चीन के तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को रिकॉर्ड 858 अरब डॉलर के रक्षा विधेयक पर दस्तखत किए. यह बजट राष्ट्रपति बाइडेन की प्रस्तावित धनराशि से 45 अरब डॉलर अधिक है. अमेरिका ने चीन को झटका देते हुए ताइवान को भी इस बजट से 10 अरब डॉलर की रक्षा मदद की मंजूरी दी है.चीन ने अमेरिका के इस बिल की आलोचना की है. चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि चीन अमेरिका के इस कदम की निंदा करता है और इसका कड़ा विरोध करता है.
चीन ने अमेरिका पर लगाया आंतरिक हस्तक्षेप का आरोप
चीन के विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में कहा है कि अमेरिका का रक्षा विधेयक ताइवान में शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाला है. चीन से खतरे को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने और रिकॉर्ड रक्षा विधेयक की आलोचना करते हुए चीन ने कहा कि अमेरिका का वार्षिक रक्षा बजट राजनीति से प्रेरित है और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है.
चीन और रूस के साथ सैन्य प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाला विधेयक
अमेरिका के 858 डॉलर के भारी-भरकम वार्षिक रक्षा विधेयक को चीन और रूस के साथ देश की सैन्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने को ध्यान में रखते हुए मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही अमेरिकी सैनिकों के लिए कोविड-19 टीकाकरण की आवश्यकता को भी खत्म कर दिया गया है.यह विधेयक अमेरिका को इंडो-पैसिफिक रीजन में ताइवान के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की अनुमति देता है. इसके साथ ही विधेयक में अमेरिका और भारत के बीच रक्षा प्रोद्योगिकी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया है.
ताइवान ने इस कदम का किया स्वागत
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ताइवान-अमेरिका संबंधों को महत्व देने और ताइवान की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अमेरिकी सांसदों को धन्यवाद दिया है.
चीन-अमेरिका तनाव की वजह
ताइवान के अमेरिकी समर्थन पर चीन हमेशा से आपत्ति जताता रहा है. अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी ने अगस्त में ताइवान की यात्रा की थी. इस यात्रा के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. नैंसी पेलोसी के दौरे के बाद चीन ने ताइवान में बड़े-बड़े नौसैनिक सैन्य अभ्यास किए थे.ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन तट से लगभग 100 मील दूर है. ताइवान की जनसंख्या लगभग 2.3 करोड़ है. दोनों देशों के बीच लगभग पिछले 74 सालों से विवाद चला आ रहा है.1949 में हुए गृह युद्ध के बाद दोनों देश अलग हो गए.