नई दिल्ली
महंगाई से जूझ रहे देश के 81 करोड़ से अधिक गरीबों के लिए अच्छी खबर है। केंद्रीय कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने का फैसला किया गया। इसके मुताबिक नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त राशन मिलेगा। इससे केंद्र सरकार के खजाने पर करीब दो लाख करोड़ रुपये को बोझ पड़ेगा। इसके साथ ही सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। कोरोना महामारी के दौरान गरीबों को राहत देने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी और फिर कई बार बढ़ाया गया था। कोरोना काल में इस योजना से गरीबों को काफी मदद मिली थी। लेकिन अब इसका नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट में विलय कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इसमे दोनों योजनाओं के फायदों को समाहित किया गया है। अगले साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और उसके बाद 2024 में होने वाले आम चुनावों के लिए इसे मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को अप्रैल 2020 में लॉन्च किया गया था। इस साल मार्च में इसे छह महीने के लिए बढ़ाया गया था। सितंबर में फिर इसे तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन दिया जाता रहा है। इस योजना के तहत दिया जाने वाला अनाज एनएफएसए के तहत मिलने वाले सब्सिडी वाले अनाज से अलग होता है। खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले एनएफएसए कानून के तहत हरेक लाभार्थी को हर महीने पांच किलो मिलता है। इसमें चावल तीन रुपये किलो, गेहूं दो रुपये किलो और मोटा अनाज एक रुपये किलो मिलता है। वहीं अंत्योदय अन्न योजना में आने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज मिलता है। अगले एक साल तक यह राशन मुफ्त मिलेगा।
कितनी मिलती है सब्सिडी
सरकार चावल पर 36.7 रुपये और गेहूं पर 25.9 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी दे रही है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में एनएफएसए पर केंद्र का खर्च करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसी तरह पीएमजीकेएवाई का बिल भी करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये रहेगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार ने एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई को मर्ज करने का फैसला किया है। इसमें दोनों के फायदों को शामिल किया गया है। पिछले महीने के अंत में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के पास गेहूं और चावल का 3.8 करोड़ टन का भंडार था। यह एनएफएसए के लिए जरूरी स्टॉक से अधिक है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि एनएफएसए के तहत गरीबों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाएगा। सरकारी अधिकारियों ने एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देने के केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले को देश के गरीबों के लिए ‘नए साल का उपहार’ बताया। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को अब अनाज के लिए एक भी रुपया नहीं देना होगा। इस पर आने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के समूचे बोझ को केंद्र सरकार ही उठाएगी। अगले साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर इस फैसले को अहम माना जा रहा है।
महंगाई से राहत
कोरोना काल के मुश्किल दौर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने गरीबों की काफी मदद की थी। कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद भी सरकार ने इस योजना को जारी रखा। इसकी वजह यह थी कि इस साल देश में महंगाई काफी बढ़ गई थी। इस साल के पहले दस महीने खुदरा महंगाई लगातार छह फीसदी के ऊपर बनी हुई थी। नवंबर में इसमें कुछ कमी आई है और यह 5.88 फीसदी पर आ गई है। यह इसका 11 महीने का न्यूनतम स्तर है। पिछले साल नवंबर में यह खुदरा महंगाई दर 4.91 फीसदी रही थी। हाल के महीनों में देश में खासकर गेहूं की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है। यही वजह है कि गरीबों को महंगाई से राहत दिलाने के लिए सरकार ने उन्हें एक साल तक मुफ्त राशन देने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को 10 सितंबर, 2013 को नोटिफाई किया गया था। इसका मकसद गरीबों को सस्ती कीमत पर अनाज मुहैया कराना है। इसमें 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी के कवरेज का प्रावधान है। यानी देश की करीब दो-तिहाई आबादी इसमें आती है। इसमें लाभार्थी को तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये गेहूं और एक रुपये किलो मोटा अनाज देने का प्रावधान है।
क्या होगा फायदा
सरकार ने संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के कुछ घंटे बाद यह फैसला लिया। इससे सरकार की गरीबों के हित में काम करने की छवि और मजबूत होगी। अभी कई राज्यों में सस्ती कीमत पर गरीबों को अनाज दिया जा रहा है। तमिलनाडु नें गरीबों के मुफ्त राशन दिया जा रहा है जबकि ओडिशा में एक रुपये किलो के भाव पर चावल दिया जा रहा है। अगले साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को 2024 में होने वाले आम चुनावों का सेमीफाइनल माना जाता है। इस लिहाज से फ्री राशन योजना को काफी अहम माना जा रहा है।