नई दिल्ली ,
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर पद पर आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. मेयर के लिए शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर के लिए आले मोहम्मद इकबाल को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने मेयर और डिप्टी मेयर पद के चुनाव में भले ही अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कड़ी टक्कर देने के लिए खास रणनीति बनाई है. ऐसे में बीजेपी किसी निर्दलीय कैंडिडेट पर दांव खेल सकती है ताकि सामूहिक विपक्ष का समर्थन भी उसे मिल सके और लड़ाई भी कांटे की हो. ऐसे में सवाल उठता है कि वो निर्दलीय पार्षद कौन होगा?
दरअसल, एमसीडी सदन में बीजेपी के पास जीत का जादुई आंकड़ा नहीं है. ऐसे में पार्टी ने एमसीडी में धुरंधर रहे अपने दो नेताओं को चुनावी कमान सौंपी है, जिसमें एक विजेंद्र गुप्ता हैं और दूसरे सुभाष आर्य. एमसीडी सदन में जीत हासिल करने की रणनीति तय करने की जिम्मेदारी विधायक विजेंद्र गुप्ता और सुभाष आर्य को दी है. सुभाष एकीकृत एमसीडी के अलावा दक्षिण दिल्ली नगर निगम में बड़े पदों पर रहे हैं. आर्य ने कह दिया है कि उनकी पार्टी महापौर और उपमहापौर के चुनाव के लिए पार्षदों का नामांकन पत्र हर हाल में दाखिल कराएगी.
दिल्ली नगर निगम चुनाव में तीन पार्षद ही निर्दलीय जीत सके थे, जिसमें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के सीलमपुर वार्ड से शकीला बेगम पार्षद चुनी गई हैं. ईसापुर वार्ड से मीना देवी पार्षद हैं और तीसरे पश्चिमी दिल्ली के मुंडका वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार गजेंद्र दलाल जीते हैं. एमसीडी के मेयर की सीट महिला के लिए आरक्षित है, ऐसे में गजेंद्र दलाल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इस तरह से मीना देवी और शकीला बेगम ही दो कैंडिडेट बचती हैं.
शकीला और मीना देवी में कौन?
निर्दलीय पार्षद बनी शकीला बेगम को बीजेपी मेयर के लिए अपना प्रत्याशी बनाए, यह मुश्किल है. ऐसे में मीना देवी पर ही दांव खेल सकती है. शकीला बेगम पर दांव ना खेलने के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि उनके पति पहले बसपा से पार्षद रहे हैं और फिर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. आम आदमी पार्टी ने उन्हें पार्षद टिकट नहीं दिया तो उन्होंने निर्दलीय अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया. इसके अलावा दूसरी वजह शकीला मुस्लिम समुदाय से हैं. ऐसे में मीना देवी की दावेदारी प्रबल हो सकती है.
ईसापुर से पार्षद चुनी गई मीना देवी का राजनीतिक बैकग्राउंड बीजेपी रहा है. पिछली बार पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ वार्ड से निर्दलीय जीती थीं, लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गई थीं. इस बार वह ईसापुर वार्ड नंबर 126 से बीजेपी का टिकट मांग रही थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, जिसके कारण मीना देवी ने निर्दलीय ही मैदान में उतरने का निर्णय लिया और जीत दर्ज कर एमसीडी पहुंची हैं.
मीना देवी की खुल सकती है किस्मत
बीजेपी ने भले ही मीना को एमसीडी चुनाव में पार्षद का प्रत्याशी नहीं बनाया था, लेकिन सियासत ने अब ऐसी जगह पर ला दिया है कि उनको मेयर का प्रत्याशी बनाए जाने का प्रबल दावेदार माना जाने लगा है. बीजेपी अगर निर्दलीय कैंडिडेट को उतारती है तो मीना देवी की किस्मत के सितारे बुलंद हो सकते हैं, क्योंकि शकीला बेगम की संभावना बहुत ही कम दिख रही है.
हालांकि, एमसीडी के दोनों पदों पर बीजेपी ने पार्टी या फिर निर्दलीय पार्षदों को चुनाव लड़ाने के मामले में अभी पत्ते नहीं खोले हैं. एमसीडी में जीत का आंकड़ा नहीं होने के कारण बीजेपी का एक खेमा महापौर और उपमहापौर पद पर निर्दलीय पार्षदों को आगे करने की वकालत कर रहा है. अगर निर्दलीय को लड़ाया जाता है और हार मिलती है तो पार्टी की किरकिरी नहीं होगी और तीन महीने (अप्रैल में) के बाद जब दोबारा मेयर का चुनाव होगा तो पूरे दमखम के साथ उतर सकती है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी निर्दलीय को उतारती है या फिर अपने किसी पार्षद पर दांव लगाएगी?