नई दिल्ली
चुनावी सफलताओं के लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी के लिए साल 2022 काफी शानदार रहा। पार्टी को जहां अपने सबसे मजबूत गढ़ गुजरात में रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल हुई। वहीं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में दोबारा शानदार बहुमत के साथ सरकार बना कर भाजपा ने इन प्रदेशों में भी नया रिकॉर्ड बनाया। गोवा में भी भाजपा दोबारा से सरकार बनाने में कामयाब हो गई। लेकिन भाजपा हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सरकार बदलने के रिवाज को बदल पाने में कामयाब नहीं हो पाई और कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा को इस पहाड़ी राज्य में कांग्रेस के हाथों ही हार का सामना करना पड़ा। इस लिहाज से देखा जाए तो आने वाला नया वर्ष 2023 भाजपा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहने जा रहा है क्योंकि 2023 में होने वाले चुनाव 2024 लोक सभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे।
2023 में यह भी साबित हो जाएगा कि कांग्रेस फिर से मजबूत होने की राह पर आ गई है या भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का सपना कामयाबी की ओर अग्रसर है। दरअसल, 2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा,मेघालय, नागालैंड, मिजोरम और जम्मू कश्मीर सहित जिन 10 राज्यों एवं केंदशासित प्रदेश में विधान सभा चुनाव होना है उनमें से तेलंगाना और जम्मू कश्मीर को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर बड़े राज्यों में भाजपा का मुकाबला सीधे कांग्रेस से है। 2023 में होने वाले इन चुनावों की रणनीति तय करने के लिए नए वर्ष के पहले महीने, जनवरी में ही भाजपा अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जनवरी के मध्य में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए विस्तृत रणनीति तैयार की जा सकती है।
इन दो राज्यों पर बीजेपी का फोकस, रिस्क लेने के मूड में नहीं
2023 में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होना है जहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा इन दोनों राज्यों में ही कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। भाजपा राजस्थान में अशोक गहलोत को और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को हरा कर गांधी परिवार और कांग्रेस दोनों को झटका देना चाहती है क्योंकि ये दोनों ही नेता गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं। अगले वर्ष 2023 में कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी विधान सभा चुनाव होना है। इन दोनों राज्यों में वर्तमान में भाजपा की सरकार है और आगामी विधान सभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला सीधे कांग्रेस से ही होना है। आपको बता दें कि, कर्नाटक और मध्य प्रदेश, इन दोनों राज्यों में 2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत और कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस की कामयाबी की वजह से भाजपा को इन दोनों ही राज्यों में आगे चलकर कामयाबी हासिल हो गई लेकिन 2023 को लेकर अब भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
गहलोत को मात देने के लिए बीजेपी का अभियान
राजस्थान में गहलोत सरकार को हराने के लिए भाजपा राज्य की सभी दो सौ विधान सभा सीटों पर जनाक्रोश यात्रा निकाल रही है और 2023 में पार्टी सभी गुटों को एक साथ लाकर बड़ा अभियान चलाने की तैयारी भी कर रही है। छत्तीसगढ़ में भी चुनाव जीतने के लिए भाजपा जहां एक तरफ गुटों में बंटी पार्टी को एकजुट करने का प्रयास कर रही है तो वहीं इसके साथ ही आने वाले महीनों में पार्टी संगठन को मजबूत कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों की सहायता लेकर राज्य में राजनीतिक माहौल बनाने का प्रयास करने वाली है। मध्य प्रदेश में भी चुनावी जीत हासिल करने के लिए शिवराज सरकार और भाजपा आलाकमान पूरी तरह से कमर कस चुका है और आने वाले दिनों में इसके लिए संगठन और सरकार दोनों को कसने की तैयारी की जा रही है। कर्नाटक में राजनीतिक माहौल को पार्टी के पक्ष में बदलने के लिए भाजपा आलाकमान ने 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन सभी गुटों और जातीय समीकरण को साधने की कवायद के तहत येदियुरप्पा को पार्टी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च और सबसे ताकतवर संस्था संसदीय बोर्ड का सदस्य बना कर कर्नाटक की जनता को राजनीतिक संदेश देने का भी प्रयास किया। 2023 में तेलंगाना में भी विधान सभा चुनाव होना है जहां वर्तमान में टीआरएस की सरकार है और के.चंदशेखर राव मुख्यमंत्री हैं। राव 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर देश भर में भाजपा के खिलाफ सभी विरोधी दल को एकजुट करने की मुहिम में लगे हैं इसलिए भाजपा राव को उनके गृह राज्य तेलंगाना में ही बड़ा झटका देने की रणनीति पर काम कर रही है।
पिछड़े मुसलमानों पर पार्टी ने ध्यान किया केंद्रित
जम्मू कश्मीर में सरकार की तैयारियों के मद्देनजर यह माना जा रहा है कि इस केंद्र शासित प्रदेश में भी 2023 में विधान सभा चुनाव हो सकता है। यह चुनाव भी भाजपा के लिए काफी अहम होने जा रहा है। यही वजह है कि जम्मू में पहले से ही मजबूत भाजपा इस बार कश्मीर घाटी में भी अपनी पार्टी को मजबूत करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इन तमाम राज्यों में भाजपा अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करेगी और इसी रणनीति के तहत 2023 में प्रधानमंत्री स्वयं इन राज्यों में ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम और रैलियां करते नजर आएंगे। देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को दिए जा रहे मुफ्त अनाज के साथ-साथ केंद्र सरकार की अन्य उपलब्धियों की जानकारी आम जनता तक पहुंचा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का भी प्रयास किया जाएगा। भाजपा की नजर मुस्लिम मतदाताओं पर भी है और पार्टी इन चुनावों में मुसलमानों खासकर पिछड़े मुसलमानों को लुभाने के लिए विशेष तैयारी पर जोर दे रही है।
रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी इस टीम पर
सबसे बड़ी बात यह है कि 2023 में होने वाले विधान सभा चुनाव की रणनीति बनाने और उसे जमीनी धरातल पर उतारने के तौर तरीकों की समीक्षा भाजपा आलाकमान नए वर्ष में समय समय पर दिल्ली और इन राज्यों की राजधानी में जाकर भी करेगा। इन बैठकों की कमान मुख्य तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष के हाथ में ही रहेगी। 2023 में त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में भी विधान सभा का चुनाव होना है। त्रिपुरा में वर्तमान में भाजपा की सरकार है और चुनावी रणनीति के तहत त्रिपुरा में भी भाजपा ने मुख्यमंत्री के चेहरे में बदलाव किया है। मेघालय और नागालैंड में भाजपा समर्थित सरकार सत्ता में है तो वहीं मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है।