झाबुआ,
मध्य प्रदेश में टमाटर की खेती करने वाले किसानों का बुरा हाल है. झाबुआ जिले में तो किसानों ने टमाटर की उपज को फेंकना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि बेचना महंगा ओर फेंकना सस्ता साबित हो रहा है. उनका कहना है कि जिले की पेटलावद तहसील के टमाटर कभी पाकिस्तान जाया करते थे. दिल्ली ओर उज्जैन की मार्केट में यहां के टमाटरों की अच्छी डिमांड थी. इस बार उत्पादन की अधिकता और निर्यात ना होने के चलते थोक भाव इतने कम हो गए हैं कि किसान परेशान होकर टमाटर फेंकने को मजबूर हैं.
केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार?
हालात यह हैं कि टमाटर एक कैरेट 20 से 25 रुपये में थोक में बिक रहा है. एक कैरेट में 25 किलो टमाटर आता है. अब किसान नेता इस बदहाली के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बता रहे हैं. साथ में 2022 की समाप्ति तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सरकार के दावों पर भी सवाल उठा रहे हैं.
किसान जीतेन्द्र पाटीदार कहते हैं कि उज्जैन मंडी में टमाटर बेचने के लिए भेजता हूं. वहां मुझे 75 रुपये किलो का भाव मिलता था. अब बाजार में भाव नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि 100 कैरेट टमाटर मंडी में भेजने के बाद 7 दिन तक इंतजार किया लेकिन कोई खरीददार नहीं आया इसलिए टमाटर फेंक दिए. किसान का दावा है कि 110 किलो टमाटर लगभग 80 हजार रुपये का था. भाकियू जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड कहते हैं कि टमाटर पर कोई भाव नहीं मिल रहा है. किसानों का टमाटर एक रुपये किलो बिक रहा है. जिले के सभी किसानों का यही हाल है.