भोपाल
श्रमश्री सेवा समिति और अखिल भारतीय लोणारी कुनबी समाज के तत्वावधान में बरखेड़ा रामलीला मैदान पर चल रही श्रीमद भागवत कथा में तीसरे दिन सोमवार को अंतरराष्ट्रीय कथाकार और समाज सुधारक आचार्य मनोज अवस्थी महाराज ने सती चरित्र और सती अनुसुइया का चरित्र सुनाया। उन्होंने कहा कि भारत भूमि में सभी बेटियां अपने पिता से अत्यधिक प्रेम करती हैं और पिता अपनी बेटियों को अत्यधिक वात्सल्य भाव देते हैं।
महाराज ने कहा कि बेटी के जीवन में दो घर होते हैं या तो आप घर या तो बाप घर। धु्रव चरित्र की कथा सुनाते हुए आचार्य ने कहा कि धु्रज जी को अपनी मौसी की बात से ही वैराग्य हो गया। उन्होंने कहा कि परमात्म प्राप्ति में किसी की बात लगना सर्वोत्तम माना गया है। चाहे वो बात किसी संत, गुरु की हो या महापुरुष की। आगे की कथा में महाराज ने राजा बेन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि माता-पिता के दिए हुए संस्कार ही बच्चे के उज्ज्वल भविष्य का कारण बन सकते हैं। असंस्कारी संतान सम्पूर्ण वंश के विनाश का कारण बन जाती है।
इसके बाद महाराज ने पुरंजन जी का उपाख्यान सुनाया। इसमें बताया कि मोह सभी व्याधियों का मूल होता है। कथा सुनने श्रमश्री के अध्यक्ष रामबाबू शर्मा, मुख्य यजमान सारिका विष्णु राने राष्ट्रीय अध्यक्ष आखिल भारतीय लोनारी कुनबी समाज, लक्ष्मण सिंह, रामविलास मालवीय, अर्चना पटेल, महेश मालवीय, आरएन बारस्कर, संतोष राव लिखितकर, जीआर कामतकर, एमआर दाते, रमेश धोटे, पदमाकर ठाकरे, नीलकंठ कामतकर, गणेश महाराज, डॉ. प्रकाश खाड़े, कमल चडोकार, डॉ. राजेश लिखितकर, कृष्णा लिखितकर, सुरेन्द्र धोटे, कुणाल ठाकरे, कुणाल बारस्कर, पवन दवन्डे, जयंत महाले, दुर्गेश गायकवा?, गुणवंत ठाकरे, साहेब राव ठाकरे, दिलीप लिखितकर, नवनीत राने, क्षितिज गलफट, नीलेश देशमुख, निशांत लिखितकर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।