क्या भारतीयों को कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत है? हां-ना में बंटी एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली

चीन में कोरोना के मामले लाखों-करोड़ों की संख्या में बढ़े हैं। पूरी दुनिया खौफ में है। भारत सरकार ने अस्पतालों में तैयारियां जांचने के लिए मॉक ड्रिल किया है। स्वास्थ्य विभाग बचे हुए लोगों से कोरोना वैक्सीन लगवाने की अपील कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि बूस्टर लगवाने में लोग काफी कम रुचि ले रहे हैं। इस बीच, भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की तरफ से कोविड-19 की दूसरी बूस्टर डोज लगाने की मांग की गई है। जी हां, IMA की केरल शाखा ने सरकार से अपील की है कि वह कम से कम स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्करों और ज्यादा जोखिम वाले समूहों के लिए कोरोना की दूसरी बूस्टर डोज देने पर विचार करे। आईएमए के राज्य सचिव एके रवि कुमार ने कहा, ‘वैसे, बहुत से लोगों को संक्रमण हो चुका होगा और इम्युनिटी बढ़ गई होगी लेकिन केस अचानक बढ़ने पर ज्यादा लोगों को खतरा बना रहेगा।’

अगर कोरोना लहर आई तो
उन्होंने कहा कि आगे कोरोना की एक और लहर आती है तो हम बड़ी संख्या में मामले देख सकते हैं और जोखिम ज्यादा होगा। ऐसे समय में यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि किन देशों में दूसरी बूस्टर डोज की मंजूरी दी गई है। इजरायल, अमेरिका, स्वीडन, डेनमार्क, हंगरी, कंबोडिया, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया में अलग-अलग शर्तों के साथ सुरक्षा के विशेष उपाय किए गए हैं और दूसरी बूस्टर डोज लगाई गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 22.35 करोड़ एहतियाती खुराक दी गई है, जो तीसरी खुराक के लिए पात्र कुल जनसंख्या का 27 प्रतिशत है।

करीब एक साल पहले भारत में ओमीक्रॉन लहर आई थी। अगर इस संक्रमण की वजह से पर्याप्त ओमीक्रॉन प्रतिरक्षा नहीं बनी तो भारत में फिलहाल उपलब्ध कोई भी टीका और सुरक्षा प्रदान नहीं करेगा…18 वर्ष से अधिक आयु के अधिकांश भारतीयों को पहली खुराक मिल चुकी है, लेकिन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दूसरी या तीसरी खुराक नहीं मिली है। इसलिए अगर डॉक्टर अतिरिक्त बूस्टर खुराक की मांग कर रहे हैं, तो यह वास्तविकता की जांच के बिना घबराहट की प्रतिक्रिया है।

रवि कुमार ने तर्क रखा कि स्वास्थ्यकर्मियों और वर्करों को आखिरी डोज लिए एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। प्रतिरोधक क्षमता अब कम हो गई होगी। ऐसे में बिना शक चौथी प्रिकॉशनरी डोज की जरूरत है, जिससे वायरस के खिलाफ ज्यादा एंटीबॉडीज विकसित की जा सके।

भरोसा पैदा होगा कि मौत नहीं होगी
वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन ने कहा कि बूस्टर वैक्सीन लगाने से लाभ यह होगा कि लोगों में भरोसा पैदा होगा कि वह मरेंगे नहीं या आईसीयू में भर्ती करने की नौबत नहीं आएगी। दरअसल, एक्सपर्ट की चिंता यह है कि चीन में फैल रहा कोरोना का नया वेरिएंट इम्युनिटी को चकमा देकर व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में इम्युनिटी के स्तर को ज्यादा रखने के लिए दूसरे बूस्टर की जरूरत महसूस की जा रही है।

अमेरिका, इजरायल समेत दुनिया के कई देशों ने उच्च-जोखिम और कमजोर लोगों के समूहों के लिए चौथे डोज की मंजूरी दी है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक चौथी डोज देने की सिफारिश नहीं की है। डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों ने दूसरी या तीसरी डोज नहीं ली है उनके लिए वैक्सीन लगवाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

उधर, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के. कोलनडाईसामी ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी डोज लेने वाले ज्यादातर स्वास्थ्य कर्मी कभी न कभी संक्रमित हो चुके होंगे और इससे उनके भीतर नैचरल इम्युनिटी विकसित हो गई होगी। उन्होंने आगे कहा कि सॉर्स-कोव1 के खिलाफ विकसित इम्युनिटी हमारे शरीर में दो दशक बाद भी रहती है और इसलिए अभी दूसरे बूस्टर डोज की सच में जरूरत नहीं है।

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