लखनऊ
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। यूपी सरकार ने आदेश पर रोक की मांग की है। 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट खुलने पर इस मामले में सुनवाई हो सकती है। बता दें, हाईकोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण दिए चुनाव के लिए कहा था।
दरअसल, मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए कहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म रद्द किए जाने के फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार पिछड़ों का हक दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। वहीं, सपा ने भाजपा पर कोर्ट में कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया है।
सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग का किया है गठन
उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बुधवार को पांच सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को नियुक्त किया गया है। अन्य चार सदस्य राज्य के पूर्व कानूनी सलाहकार संतोष कुमार विस्कर्मा, ब्रजेश कुमार सोनी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चौब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार शामिल हैं। आयोग मानकों के आधार पर पिछड़े वर्गों की आबादी को लेकर सर्वे कर शासन को रिपोर्ट करेगा।
बता दें, 5 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव की आरक्षण सूची जारी की थी। जिसमें ओबीसी और एससी-एसटी के लिए सीटें आरक्षित की गई थीं। इस आरक्षण के खिलाफ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण देने में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जिस ट्रिपल टेस्ट को आवश्यक बताया गया था, उसका पालन नहीं किया गया। मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 27 दिसंबर को प्रदेश में निकाय चुनाव जल्द चुनाव कराने का आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार की के ओबीसी आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन को भी रद्द कर दिया था।