अमेरिका में काम का सपना हुआ महंगा, वीजा फीस में 2 गुने से ज्यादा बढ़ोतरी का रखा प्रस्ताव

वॉशिंगटन

जो बाइडेन प्रशासन ने गैर अप्रवासी रोजगार आधारित वीजा फीस में भारी बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव किया है। इसमें एच-1बी और एल वीजा (एक कंपनी से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर) शामिल हैं। ये वीजा फीस अमेरिकी नियोक्ता कंपनियां वहन करती हैं। ऐसे में इस प्रस्ताव के लागू होने से अप्रवासी कर्मचारियों को काम पर रखने के लागत में भारी बढ़ोत्तरी होने कीी आशंका है। निवेश से जुड़े ग्रीन कार्ड चाहने वाले लोगों को अब प्रारंभिक आवेदन के लिए ही 11160 डॉलर खर्च करने होंगे। बाइडेन प्रशासन के इस प्रस्ताव से पुराने फीस में 204 फीसदी की वृद्धि होगी।

यूएससीआईएस ने पेश किया प्रस्ताव
फीस बढ़ाने का यह प्रस्ताव यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने मंगलवार देर रात जारी किया था। यह प्रस्ताव 469 पन्नों के एक विस्तृत दस्तावेज में समाहित है। हालांकि, यह फीस वृद्धि तुरंत पेश नहीं की जाएगी। प्रशासनिक प्रक्रिया की जरूरतों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर सार्वजनिक सुझावों के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। ऐसे में संशोधित फीस के वास्तविक रूप से लागू होने में कुछ महीनों का समय लग सकता है।

एजेंसी का दावा- लागत वसूल नहीं हो पा रही
USCIS द्वारा लगभग 96 फीसदी फंडिंग ऐसी ही फाइलिंग फीस से प्राप्त की जाती है। कोरोना वायरस महामारी ने अमेरिकी इमिग्रेशन सर्विसेज की कमाई को भी प्रभावित किया है। कर्मचारियों की कमी से त्रस्त अमेरिका की इमिग्रेशन ऐजेंसी पर पुराने अप्लीकेशन को मंजूरी देने के दबाव को काफी बढ़ा दिया है। अपने प्रेस रिलीज में एजेंसी ने कहा कि प्रस्तावित शुल्क USCIS में कंप्रिहेंसिव फीस रिव्यू का परिणाम है। इस रिव्यू में पता चला है कि एजेंसी की मौजूदा फीस 2016 से बदली नहीं गई है। ऐसे में यह एजेंसी संचालन की पूरी लागत वसूल करने में बहुत कम है।

ट्रंप ने भी की थी फीस बढ़ाने की कोशिश
इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने कार्यकाल के दौरान वीजा फीस बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, उनके प्रस्ताव की अप्रवासी संगठनों और विपक्षी नेताओं ने जमकर आलोचना की थी। ट्रंप वीजा फीस में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी करना चाहते थे। उनका प्रस्ताव पहली बार अमेरिका में शरण की मांग करने वालों से 50 डॉलर की फीस वसूलने का भी था। ट्रंप के प्रस्ताव से कम आय वाले आवेदकों के लिए कई शुल्क छूट भी समाप्त हो जातीं। लेकिन, अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने 2020 में ट्रंप की योजना को रोक दिया था।

सबसे ज्यादा भारतीय और चीनी होंगे प्रभावित
बाइडेन प्रशासन के वीजा फीस वृद्धि वाले प्रस्ताव से सबसे ज्यादा भारतीय और चीनी नागरिक ही प्रभावित होंगे। भारतीय नागरिक अमेरिका के आईटी और फॉर्मा जैसी कंपनियों में बड़ी संख्या में काम करते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के डेटा के अनुसार, अमेरिका में 1280000 भारतीय एनआरआई, 3180000 भारतीय पीआईओएस और 4460000 ओवरसीज भारतीय रहते हैं। ये नागरिक वहां से कमाई का बड़ा हिस्सा भारत में रहने वाले अपने परिवारजनों को भी भेजते हैं, जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने में मदद मिलती है।

About bheldn

Check Also

पहले बजट का झटका… अब ग्लोबल मार्केट में भूचाल, खुलते ही औंधे मुंह गिरा शेयर बाजार, बिखर गए ये 10 स्टॉक

नई दिल्ली, शेयर बाजार लगातार तीसरे दिन लाल निशान पर ओपन हुआ. सुबह जैसे ही …