अल-अक्सा मस्जिद में इजरायल ने ऐसा क्या किया कि एकजुट हुए मुस्लिम देश

नई दिल्ली,

इजरायल के कट्टर दक्षिणपंथी सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गविर ने मंगलवार को यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया. इजरायली मंत्री के इस दौरे की सऊदी अरब, जॉर्डन, फिलीस्तीन और संयुक्त अरब अमीरात ने कड़ी निंदा की है. मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. इस जगह को लेकर यहूदियों और मुस्लिमों के बीच लंबे समय से विवाद रहा है. दोनों समुदाय के लोग इस जगह को धार्मिक लिहाज से अहम मानते हैं.

इजरायली मंत्री के इस दौरे को लेकर कई इस्लामिक देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि सऊदी अरब इजरायली मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद प्रांगण में जाने की कड़ी निंदा करता है. सऊदी अरब ने इजरायली मंत्री के इस कदम को शांति के प्रयास और धार्मिक पवित्रता का सम्मान करने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मानदंड का उल्लंघन करार दिया है.

हम फिलिस्तीनी नागरिकों के साथः सऊदी अरब
सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सऊदी अरब फिलिस्तीनी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है. इसके अलावा सऊदी अरब ने फिलिस्तीन की आजादी की मांग और एक न्यायसंगत और व्यापक समाधान का भी समर्थन किया है. जिससे फिलिस्तीनी नागरिकों को 1967 की सीमाओं के साथ एक स्वतंत्र देश स्थापित करने की अनुमति मिले और पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी बना सकें.

संयुक्त अरब आमीरात ने भी निंदा की 
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी इजरायली मंत्री के मस्जिद प्रांगण में प्रवेश करने की कड़ी निंदा की है. यूएई के विदेश मंत्रालय ने इजरायल के सामने अल-अक्सा मस्जिद की पूर्ण सुरक्षा और वहां होने वाले उल्लंघन के मुद्दे को भी उठाया. यूएई ने इजरायल के अधिकारियों से आह्वान किया है कि वो ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएं जिससे यरुशलम क्षेत्र में तनाव बढ़े और अस्थिरता फैले. इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात ने मध्य पूर्व क्षेत्र में शांति और अवैध कार्यों को समाप्त करने की क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन किया है.

जॉर्डन ने भी निंदा की 
अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली मंत्री बेन-गविर की यात्रा की जॉर्डन ने गंभीर शब्दों में निंदा की है. जार्डन विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, “जॉर्डन अल-अक्सा मस्जिद में मंत्री के प्रवेश और इसकी पवित्रता के उल्लंघन की कड़े शब्दों में निंदा करता है.”जॉर्डन ने इजरायल के राजदूत को तलब करते हुए कहा है कि मंत्री का अल-अक्सा मंदिर का दौरा अंतरराष्ट्रीय कानून और यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक यथास्थिति का उल्लंघन है.

मंत्री की यात्रा भड़काऊः तुर्की
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने भी इजरायली मंत्री के इस कदम की निंदा की है. तुर्की के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, “हम इजरायली पुलिस के संरक्षण में अल-अक्सा मस्जिद में इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर की भड़काऊ यात्रा से चिंतित हैं और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं.

फिलिस्तीन ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
फिलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि फिलिस्तीन इजरायली मंत्री बेन-गवीर की अल-अक्सा मस्जिद दौरे की कड़ी निंदा करता है और इसे अभूतपूर्व भड़काऊ और हिंसात्मक वृद्धि के रूप में देखता है.इसी बीच फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह ने कहा कि इजरायली मंत्री का यह दौरा मस्जिद को यहूदी मंदिर में बदलने की एक कोशिश है. मंत्रिमंडल को संबोधित करते हुए फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री ने इजरायली मंत्री के दौरे के बाद अल-अक्सा मस्जिद परिसर पर रेड मारने को कहा है.

फलिस्तीनी इस्लामिक संगठन हमास के एक प्रवक्ता ने कहा कि इजरायली मंत्री का यह दौरा एक बड़े संघर्ष के नजदीक लाएगी. चरमपंथी संगठन हमास गाजा को नियंत्रित करता है और इजरायल के अस्तित्व को अस्वीकार करता है.हमास के प्रवक्ता ने कहा कि अल-अक्सा फिलिस्तीनी, अरब और इस्लामी बना रहेगा और कोई फासीवादी इस तथ्य को बदल नहीं सकता है.

कौन हैं इजरायल के दक्षिणपंथी मंत्री इतामार बेन-गविर
इतामार बेन-गविर यहूदी पावर पार्टी के धुर राष्ट्रवादी नेता हैं. यहूदी पावर पार्टी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली कठोर दक्षिणपंथी गठबंधन का हिस्सा है. एक सप्ताह पहले ही नेतन्याहू ने नई सरकार बनाई है. बेन-गविर को पिछले सप्ताह ही नई सरकार में मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी.

दौरे के बाद मंत्री ने लिखी ये बात 
अल-अक्सा मस्जिद के दौरे के बाद इजरायल के मंत्री बेन-गविर ने ट्वीट करते हुए लिखा, टेंपल माउंट सभी के लिए खुला है और अगर हमास सोचता है कि मुझे धमकी देकर डरा देगा, तो वो ये समझ लें कि अब समय बदल गया है. इजरायल की सरकार आत्मसमर्पण नहीं करेगी.

अल-अक्सा मस्जिद को लेकर क्या है विवाद
प्राचीन फिलिस्तीन को 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने दो भागों में विभाजित कर दिया था. विभाजन के बाद 55 फीसदी हिस्सा यहूदियों को और 45 फीसदी हिस्सा फिलिस्तीनियों को मिला था. लेकिन 1967 में इजरायल के गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और यरुशलम पर कब्जे के बाद यह विवाद और बढ़ गया.

हालांकि, बाद में जॉर्डन और इजरायल के बीच यह सहमति बनी कि अल-अक्सा मस्जिद के भीतर के मामलों पर इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ का नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा. इसके अलावा इस बात पर भी सहमति बनी कि गैर-मुस्लिमों को भी मस्जिद परिसर के अंदर आने की इजाजत होगी लेकिन उनको प्रार्थना करने की अनुमति नहीं होगी. इसके बावजूद यहूदियों ने पिछले कुछ समय से मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की जिससे तनाव की स्थिति बन गई. कई बार हिंसक झड़प भी हो गई.

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