यूक्रेन युद्ध से कमाई, रूस से दोस्‍ती… जयशंकर ने चुन-चुनकर किया यूरोप पर करारा वार, बोलती बंद की

विएना

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पिछले दिनों ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में थे। 27 साल बाद भारत का कोई विदेश मंत्री ऑस्ट्रिया पहुंचा था। लेकिन यूरोप के इस देश ने जरा भी उम्‍मीद नहीं की होगी कि भारतीय विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर उसके हर आरोप का जवाब तो देंगे ही साथ ही उसकी बखिया भी उधेड़ देंगे। जयशंकर ने अपने दौरे पर उन आरोपों से इनकार कर दिया कि भारत, यूक्रेन की जंग का फायदा उठा रहा है और रूस से सस्‍ता तेल खरीद रहा है। भारत इस समय जी20 का मुखिया है। बतौर विदेश मंत्री जयशंकर ने साबित कर दिया कि फिलहाल भारत अपनी आर्थिक तरक्‍की पर ध्‍यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही उसका मकसद यूक्रेन में जारी जंग के खत्‍म होने पर भी है।

यूरोप को दिखाया आईना
यूरोपियन मीडिया के साथ जयशंकर ने जितने भी इंटरव्‍यू दिए, उसमें उन्‍होंने साफ कर दिया कि भारत का मकसद यूक्रेन जंग का समाधान हासिल करना है न कि इसे भड़काना। जयशंकर ने कहा, ‘मैं राजनीतिक और गणि‍तिय तौर पर इस बात का पुरजोर खंडन करता हूं कि भारत युद्ध से फायदा उठा रहा है। तेल की कीमतें यूक्रेन युद्ध की वजह से आसमान छू रही हैं। इस स्थिति में अगर आपको सही कीमत पर तेल मिल रहा है तो भी आप पहले की तुलना में ज्‍यादा कीमत दे रहे हैं।’

जर्मनी के डाइ प्रेस को दिए इंटरव्‍यू में जयशंकर ने कहा, ‘तेल का बाजार ईरान पर लगे प्रतिबंधों और वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों की वजह से भी प्रभावित हो रहा है। ऐसी स्थिति में यह कूटनीति और आर्थिक ज्ञान है कि आप बाजार में देखकर अच्‍छी डील हासिल करें। अगर यूरोप के पास ऐसा विकल्‍प होता तो क्‍या वह यह कदम नहीं उठाता।’

किसने माना यूएन का चार्टर
जयशंकर 29 दिसंबर से तीन जनवरी तक साइप्रस और ऑस्ट्रिया के दौरे पर थे। यहां पर उन्‍होंने इस बात की तरफ ध्‍यान दिलाया कि कैसे 120 अरब डॉलर की ऊर्जा जो रूस से आ रही है उस पर फरवरी 2022 में शुरू हुई यूक्रेन जंग का असर पड़ा है। उनके शब्‍दों में यह असल कीमत की तुलना में छह गुना ज्‍यादा है। जयशंकर से रूस के अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों का उल्‍लंघन करने और भारत के समर्थन के बारे में भी सवाल किया गया था। इस पर उन्‍होंने जवाब दिया, ‘सभी देश कहेंगे के वह यूएन के चार्टर के सिद्धांतों का समर्थन करते हैं। लेकिन पिछले 75 साल में दुनिया में जो हुआ है, जरा एक नजर उस पर डालिए। क्‍या सभी यूएन सदस्‍यों ने यूएन के चार्टर को माना है और किसी भी देश में सेनाएं नहीं भेजी हैं?’

यूरोप की वजह से संकट
जयशंकर ने यह भी कहा कि जब से यूरोप ने भारत के पारंपरिक स्‍त्रोतों से तेल खरीदना शुरू कर दिया है, रूस से कच्‍चा तेल खरीदना कुछ और नहीं बस मजबूर बन गया है। जब जयशंकर से पूछा गया कि क्‍या भारत, यूक्रेन और रूस के बीच मध्‍यस्‍थ की भूमिका अदा करेगा? इस पर उन्‍होंने जवाब दिया कि भारत पहले से ही मध्‍यस्‍थ बना हुआ है। भारत की वजह से ही रूस और यूक्रेन काला सागर के रास्‍ते गेहूं और फर्टिलाइजर्स के निर्यात पर राजी हुए थे। उन्‍होंने बताया कि भारत ने जापोरिझिया परमाणु संयत्र में स्थिति को शांत कराने का प्रयास किया था।

पाकिस्‍तान का समर्थन
उन्‍होंने इस दावे से भी इनकार कर दिया कि रूस से हथियार खरीदने की वजह से भारत को युद्ध से फायदा मिल रहा है। जयशंकर ने उलटे यूरोप को ही आईना दिखाया और बताया कि कैसे पाकिस्‍तान की सैन्‍य तानाशाही को यूरोप का समर्थन मिला है। जयशंकर ने बताया कि युद्ध का खत्‍म होना दुनिया के लिए बहुत जरूरी है। इस युद्ध की वजह से विश्‍व में जारी खाद्य और ऊर्जा संकट को दूर किया जा सकता है। उन्‍होंने बताया कि किसी को भी युद्ध अच्‍छा नहीं लगता है। दुनिया पहले से ही खतरनाक दौर में है। नए वर्ल्‍ड ऑर्डर तक पहुंचने में काफी लंबा समय लगेगा।

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