जोशीमठ में घरों और सड़कों में दरारें हो रहीं चौड़ी, जानें रक्षा मंत्रालय ने क्यों मांगी सेना से रिपोर्ट

नई दिल्ली

उत्तराखंड का जोशीमठ धंस रहा है और सैकड़ों घरों में दरारें आ चुकी हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जोशीमठ सिर्फ ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से ही अहम नहीं है बल्कि यह सामरिक रूप से भी अहम है। यहां से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। जोशीमठ में भारतीय सेना का ब्रिगेड हेडक्वॉर्टर है और सेना के साथ ही आईटीबीपी की तैनाती भी है।

सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना से रिपोर्ट मांगी है कि जोशीमठ और उसके आसपास सेना की इमारतों और कैंट एरिया में क्या स्थिति है। वैसे वहां की तरफ जाने वाली सड़कों पर भी पिछले कुछ दिनों से दरारी देखी गई हैं, जो बढ़ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक आईटीबीपी ने भी गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी है। जोशीमठ से कई उन परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है, जिनके घरों में भारी दरारें आ गई हैं और वह खतरनाक हो गई हैं। इस आफत से निपटने के लिए अभी सेना की मदद नहीं मांगी गई है लेकिन भारतीय सेना ने छावनी बाजार में रहने वाली करीब 50 फैमिली को कैंट एरिया में शिफ्ट किया है। इन लोगों के घर दरारों की वजह से रहने लायक नहीं बचे हैं।

जोशीमठ इलाका भारतीय सेना के कामकाज के लिहाज से मिडिल सेक्टर में आता है। इसी के पास औली में पिछले साल नवंबर में भारतीय सेना और अमेरिकी सेना ने मिलकर 15 दिन युद्धाभ्यास किया। यहां भारतीय सेना ने अपना पहला हाई एल्टीट्यूट फॉरेन ट्रेनिंग नोड भी बनाया है। जोशीमठ से करीब 46 किलोमीटर दूर बाराहोती है। बाराहोती को लेकर चीन के साथ भारत का विवाद है और दोनों देश मानते हैं कि यह विवादित है। पूरे लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल यानी एलएसी में 8 ऐसे विवादित पॉइंट हैं जिसे दोनों देश विवादित पॉइंट के तौर पर स्वीकार करते हैं और इसमें बाराहोती भी एक है। यह 42 स्क्वायर किलोमीटर का एरिया है। यह इलाका लद्दाख की तरह ही बहुत टफ टेरेन वाला है। यहां 9500 फीट की ऊंचाई है लेकिन बर्फ बहुत ज्यादा गिरती है।

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