‘ढाई हजार साल पुराने मठ पर भी धंसने का खतरा’, SC पहुंचा जोशीमठ मामला

नई दिल्ली,

उत्तराखंड के प्राचीन शहर जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में भू-धंसाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस संबंध में ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्र ने याचिका में कहा है कि भू धंसाव की जद में ढाई हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन मठ भी आ गया है. पूरा क्षेत्र इससे दहशत में है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसके लिए त्वरित उपाय क्रियान्वित करने का आदेश जारी करे. सरकार को आदेश दे कि फौरन कार्रवाई की जाये.

जगद्गुरु शंकराचार्य ने आजतक को बताया कि मठ की दीवारों और फर्श पर भी दरारें आ गई हैं. विकास योजनाओं के इस बाई प्रोडक्ट को वजह से इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहर के अस्तित्व पर संकट आ गया है. याचिका में इस क्षेत्र की जनता के जन-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भूस्खलन, भू-धंसाव, भूमि फटने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए उसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में घोषित करने की मांग की. इस संबंध में त्वरित और कारगर कदम उठाने के आदेश केंद्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को देने की गुहार लगाई गई है.

एनटीपीसी और सीमा सड़क संगठन को भी राहत कार्यों में मदद करने का आदेश दिया जाए. याचिका में केंद्र सरकार, एनडीएमए, उत्तराखंड सरकार, एनटीपीसी, बीआरओ और जोशीमठ के जिला चमोली के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के साथ उनको आर्थिक मदद मुहैया कराने का भी आदेश देने का आग्रह कोर्ट से किया गया है.

बता दें कि हिमालय की तलहटी में स्थित जोशीमठ उत्तराखंड का एक छोटा-सा शहर है. यहां रहने वालों का कहना है कि घरों में दरारें आ गई हैं. इलाके के 600 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं. विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में एक सर्वेक्षण किया और खुलासा किया कि निवासियों के बीच डर सच था. शहर वास्तव में अपने आधार पर डूब रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जोशीमठ के हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है.

जोशीमठ उत्तराखंड में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक पहाड़ी शहर है. यह शहर पर्यटन की दृष्टि में महत्वपूर्ण है. यहां बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाने वाले लोग रात में विश्राम करते हैं. जोशीमठ भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भी बेहद महत्व रखता है. ये सेना की सबसे महत्वपूर्ण छावनियों में से एक है.

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