सुक्खू कैबिनेट के विस्तार से कांग्रेस में बवाल, कार्यकर्ता ने सिर मुंडवा जताया विरोध

चंडीगढ़,

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद राज्य की कांग्रेस इकाई में असंतोष चरम पर है. मंत्रिमंडल में जगह न दिए जाने के बाद कांग्रेस के दो सचिवों और विधायक सुधीर शर्मा और राजेश धर्माणी के समर्थक खुलकर पार्टी हाईकमान के खिलाफ सामने आ गए हैं. नाराजगी इसलिए भी है क्योंकि इन दोनों विधायकों के नाम पहले मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं की सूची में थे जिनको आखरी समय में हटा दिया गया.

इन नेताओं के समर्थकों में नाराजगी इस कदर है कि एक कांग्रेसी नेता ने तो नाराज होकर अपना मुंडन तक करवा लिया. इस कांग्रेस नेता का नाम सुभाष शर्मा है जो राजेश धर्मानी का करीबी है. इस नेता ने मुंडन करवाने के बाद बाथरूम से ही अर्धनग्न अवस्था में एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर दिया और कहा कि उन्होंने अपना मुंडन राजेश धर्माणी के साथ हुई नाइंसाफी के बाद किया है

कैबिनेट विस्तार से नाराज इस नेता ने कहा कि मैं दूसरों से भी अनुरोध करता हूं कि सभी शांतिप्रिय तरीके से विरोध करें. देखते हैं सुक्खू जी अब क्या करते हैं. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संभावित कैबिनेट मंत्रियों की जो सूची पार्टी आलाकमान को सौंपी थी उसमें इन दोनों नेताओं के नाम शामिल थे. शनिवार को इन नेताओं को फोन करके बकायदा पूछा गया था कि आप कौन सा विभाग लेना पसंद करोगे. यह दोनों नेता मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की खबर के बाद कांगड़ा और घुमारवीं से शिमला की तरफ चल दिए. लेकिन शपथ लेने से पहले ही जब उनको खबर मिली कि उनके नाम सूची से हटा दिए हैं तो वह वापस अपने जिलों की तरफ लौट गए.
मंत्रिमंडल में शामिल होना तो दूर लेकिन कभी वीरभद्र सिंह के करीबी रहे सुधीर शर्मा को संसदीय सचिव की कुर्सी भी नहीं दी गई. गौरतलब है कि सुधीर शर्मा 2012 में बनी कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक विरोधी कैंप सुधीर शर्मा को कैबिनेट में शामिल करने का विरोध कर रहा था. इससे पहले टिकट आवंटन के समय भी सुधीर शर्मा का विरोध हुआ था. लेकिन तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनको टिकट दे दिया था. अब विरोधी गुट ने सुधीर शर्मा की बतौर कैबिनेट मंत्री ताजपोशी पर भी रोड़े अटका दिए.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाईकमान सुधीर शर्मा से इसलिए नाराज है कि उन्होंने कांगड़ा लोक सभा और धर्मशाला उप चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. राजेश धर्माणी के खिलाफ इस तरह की कोई शिकायत नहीं है और वह सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी माने जाते हैं लेकिन फिर भी उनको मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.

उधर हिमाचल प्रदेश के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नाराजगी सिर्फ दो नेताओं तक ही सीमित नहीं है. मंत्रिमंडल में शामिल होने के इच्छुक कई और विधायक भी पार्टी हाईकमान से नाराज चल रहे हैं. इनमें कुलदीप सिंह राठौर, यादवेंद्र गोमा, संजय रतन, इंद्र दत्त लखनपाल और राजेंद्र राणा के नाम खास हैं. राजेंद्र राणा ने पिछली बार पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में हरा दिया था. इन नेताओं की नजर अब मंत्रिमंडल में खाली पड़े तीन पदों पर है जिनको दूसरे कैबिनेट विस्तार में भरा जाएगा.

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद हिमाचल कांग्रेस इकाई में असंतोष फैल गया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष पार्टी के नेताओं के बीच तालमेल बनाए रखना बड़ी चुनौती होगा.

विशेषज्ञों के मुताबिक कांग्रेस को बिलासपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों की अनदेखी महंगी पड़ सकती है. इस नाराजगी को साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि राज्य में सरकार बनाने के बाद अब कांग्रेस की बड़ी चुनौती लोकसभा की चारों सीटें जीतना होगा.

सुक्खू सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में सबसे ज्यादा नाराजगी है. कांगड़ा लोकसभा चुनाव क्षेत्र की 17 विधानसभा सीटों में से 12 सीटें जीतने के बावजूद भी इस हलके में से सिर्फ एक विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. चंद्र कुमार को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि आशीष बुटेल और किशोरी लाल को संसदीय सचिव.

मंत्रिमंडल विस्तार को अगर गहराई से देखें तो हमीरपुर और शिमला लोकसभा चुनाव क्षेत्रों को ज्यादा तरजीह दी गई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री हमीरपुर लोकसभा चुनाव क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस नेताओं में इसलिए भी नाराजगी है क्योंकि मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा मंत्री शिमला लोकसभा हलके से संबंध रखते हैं. कुल सात मंत्रियों में से पांच मंत्री अकेले शिमला लोकसभा हलके से संबंध रखते हैं. सात में से तीन मंत्री शिमला जिला के विधायक हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार से हिमाचल की पुरानी राजनीतिक कहावत कि सरकार बनने का रास्ता कांगड़ा से जाता है झूठी साबित हो रही है. कायदे से इस जिले से ज्यादा मंत्री होने चाहिए थे क्योंकि कांगड़ा लोक सभा चुनाव क्षेत्र की 17 में से 12 सीटों पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं. इस चुनाव क्षेत्र से सिर्फ एक मंत्री बनाया गया है.

मजेदार बात यह है कि किन्नौर जिला में सिर्फ एक विधानसभा चुनाव क्षेत्र है और इस जिले के एकमात्र विधायक को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया. कुल्लू जिला को सिर्फ संसदीय सचिव पद से ही काम चलाना होगा. पार्टी सूत्रों के मुताबिक शिमला जिले से सबसे ज्यादा विधायकों को मंत्री बनाना पार्टी हाईकमान की मजबूरी बन गया था क्योंकि सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रतिभा सिंह अपने अपने विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की जिद कर रहे थे.

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक मंडी ,कांगड़ा और बिलासपुर के साथ सौतेला व्यवहार कांग्रेस के मिशन 2024 पर भारी पड़ सकता है. गौरतलब है कि हिमाचल की कुल चार लोकसभा सीटों में से तीन सीटें भाजपा के पास है और कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट. अगर कांग्रेस को ज्यादा सीटें जीतनी है तो मंत्रिमंडल में सभी लोकसभा चुनाव क्षेत्रों के विधायकों को प्रतिनिधित्व देना होगा.

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